अध्यात्मकहानीदिलचस्प

जानिए, भगवान शिव ने कब, कहां और किसे दिया अमरत्व का वरदान

पूरी दुनिया में भारत ही सिर्फ एक ऐसा देश है जहां पर बहुत सारे धर्मो का वास है अर्थात भारत में अलग अलग धर्म को मानाने और पूजने वाले लोग रहते है भारत एक विभिन्न संस्कृति एव धर्मो का घर है।

भारत में बहुत से धार्मिक पूजा स्थल है उन्ही में से एक बाबा अमरनाथ धाम है अमरनाथ धाम हिन्दुओ के लिए एक बहुत एहम तीर्थ स्थान है यह स्थान कश्मीर राज्य के उत्तर पूर्व से 135 K.M दूर बाबा अमरनाथ की गुफा स्थित है अमरनाथ की गुफा भगवान् शिव के मुख्य और प्रमुख स्थानों में से एक है ये वही गुफा है जहाँ पर भगवन शिव जी ने माता पार्वती जी को अमर कथा को सुनाया था और अमर होने के सारे रहस्यों को पार्वती जी के सामने रख दिए थे

माता पार्वती की जिद्द

एक बार की बात है माता पार्वती जी शंकर जी से अमर होने की विधि जो जानने के लिए जिद्द कर रही थी मुझे अमर होने की विधि के बारे में जानना है पारवती जी की जिद्द के आगे भगवन शिव जी ने अमर कथा के रहस्यों को बताने की सोच ली और इसी को बताने के लिए शिव जी माता पार्वती को समुद्र तल से 13600 फ़ीट की उचाई पर इसी जगह लेकर गए। इस गुफा जब प्रवेश किया उससे पहले भगवन शिव जी ने अपने गले में लिपटे सुशोभित सांप को और बालो में जड़े चाँद को बाहर ही उतार दिया। जिससे ये अमर कथा पार्वती जी के अलावा कोई और ना सुन सके और जान सके।

अमर कथा सुनाई

शिव जी ने कथा सुननी शुरू कर दी लेकिन कहानी के बिच में ही माता पार्वती जी को नींद आ गई। इसी सब कथा और घटना के दौरान गुफा में पहले से मौजूद जो कबूतर के दो बच्चो ने जन्म लिया जिन्होंने अमर कथा को सुनकर अमरता को हासिल कर लिया जैसे भी भगवन शिव जी को जैसे ही इस बात का पता लगा, वह अत्यधिक क्रोधित हुए और उन्हें मारने हेतु आगे बढे।

Source : farm5.static.flickr

दोनों कबूतर के बच्चे बहुत डर गए और उन्होंने भगवन शिव जी से कहा हमने अमरकथा सुन ली है यदि आप हमे मारते है तो ये कथा झूठी साबित हो जाएगी ये सुनते ही भगवन शिव जी ने अपने अत्यधिक क्रोध को जैसे तैसे शांत किया और दोनों कबूतरों को वरदान दे डाला की तुम दोनों इस गुफा में कई युगो तक निवास करोगे और तुम दोनों कबूतरों का जोड़ा शिव-पार्वती का सूचक बनके वास करोगे ।

उसी दिन की घटना के बाद से ये स्थान अमरनाथ धाम के नाम से प्रचलित हो गया और ये कहा जाता है जिन लोगो को इन दोनों कबूतरों के दर्शन होते है उनको स्वयं शिव-पार्वती के दर्शनों के बराबर का सौभग्य मिलता है जिन्हे इनका दर्शन नहीं होता है उन लोगो की यात्रा असफल ही मानी जाती है

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button