अध्यात्म

शिव के इस धाम में निसंतान दंपतियों को मिलता है संतान सुख का आशीर्वाद, सभी इच्छाएं होती है पूरी

हिंदू धर्म और पुराणों में भगवान शिव जी की महिमा अपरंपार बताई गई है, ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं होने देते हैं, जिस भक्त के ऊपर महादेव की कृपा रहती है उस भक्त का जीवन खुशहाल बनता है और जीवन की सभी दुख परेशानियों से छुटकारा मिलता है, भगवान शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं और इन सभी दिव्य ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है, पुराणों के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि जहां पर भगवान शिव जी के ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं उन सभी स्थानों पर भगवान शिव जी स्वयं विराजमान है, भगवान शिव जी के सभी ज्योतिर्लिंग अपनी-अपनी अलग विशेषताओं के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, आज हम आपको इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में जानकारी देने वाले हैं, हिंदू धर्म के मुताबिक घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान महादेव का आखिरी ज्योतिर्लिंग माना गया है, भगवान शिव जी के इस पावन धाम की अपनी एक अलग ही विशेषता है और यह अपनी विशेषता के लिए दुनिया भर में विख्यात है।

आज हम आपको भगवान शिव जी के जिस ज्योतिर्लिंग के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर बेरुलठ गांव के पास घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है, अगर हम शिव महापुराण के अनुसार देखें तो इसमें घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख मिलता है, इस ज्योतिर्लिंग के पास में एक सरोवर मौजूद है जिसको शिवालय के नाम से लोग जानते हैं, ऐसा बताया जाता है कि जो लोग इस सरोवर के दर्शन करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, भगवान शिव जी का यह मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं के समीप मौजूद है।

भगवान शिव जी के घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिव महापुराण में भी किया गया है, ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव जी के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से लोगों की सभी तरह की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं, विशेष रूप से जिन लोगों की संतान नहीं होती है वह संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर भगवान भोलेनाथ के इस धाम में आते हैं और निसंतान दंपत्ति अपनी मनोकामना मांगते हैं, जो निसंतान दंपत्ति यहां आकर दर्शन करते हैं उनको संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है।

अगर हम शास्त्रों के अनुसार देखें तो यह वही तलाब है जहां पर घुष्मा के द्वारा बनाए गए ज्योतिर्लिंगों का विसर्जन करती थी इसी तालाब के किनारे उसने अपने पुत्र को जीवित देखा था, इसी कारण से इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ गया है, जो श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के इस पावन धाम में अपनी मनोकामना लेकर आते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं, इस मंदिर के अंदर लोग देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी दर्शन करने के लिए आते हैं, जब इनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तब इस स्थान पर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर जरूर जाते हैं, वैसे तो इस स्थान पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है लेकिन सावन महीने के समय यहां पर श्रद्धालुओं का भारी तांता लगा रहता है, सभी श्रद्धालु भारी संख्या में यहां दर्शन करने के लिए मौजूद होते हैं।

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