अध्यात्म

गरुड़ पुराण: इन 4 कामों के बिना नहीं मिलती आत्मा को शांति, मृत्यु के बाद परिजन इन्हें जरूर करें

मृत्यु के बाद क्या होता है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। हालांकि गरुड़ पुराण में मौत के बाद की दुनिया को विस्तार से बताया गया है। जब घर में किसी का निधन हो जाता है तो 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ करवाया जाता है। इसकी वजह ये है कि मौत के बाद आत्मा दूसरा शरीर धारण करती है। हालांकि ऐसा करने में किसी आत्मा को 3 दिन का समय लगता है तो किसी को 10 तो किसी को 13 दिन।

जब किसी की मौत होती है तो उसका अंतिम संस्कार उसकी संतान या परिवार का कोई करीबी करता है। ऐसा होने पर ही मृतक को सदगति मिलती है। गरुड़ पुराण में मृत्‍यु के बाद के कुछ संस्‍कारों व नियमों का जिक्र किया गया है। ऐसे में हमे इन नियमों का पालन करना चाहिए। तभी दुनिया छोड़कर गए इंसान को शांति नसीब होगी। तो चलिए जानते हैं कि गरुड़ पुराण के अनुसार हमे किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

पहला नियम: जब मृतक को चिता पर लेटाया जाता है तो उसका बेटा या करीबी रिश्तेदार मटके में पानी भर शव की परिक्रमा करता है। इस दौरान मटके में एक छेद करना चाहिए। जब परिक्रमा समाप्त हो जाए तो अंत में मटके को फोड़ देना चाहिए। इससे मृतक का अपने परिवार वालों से मोह खत्म हो जाता है और उसे धरती छोड़कर जाने में आसानी होती है।

दूसरा नियम: किसी भी मृतक का अंतिम संस्कार करने के पूर्व उसका साफ पानी से स्नान जरूर करना चाहिए। इसके बाद उसे नए और साफ कपड़े पहनाने चाहिए। उसके शरीर पर चंदन, घी और तिल के तेल का लेप लगाना चाहिए। ऐसा करने से शरीर शुद्ध हो जाता है। फिर उसे जलाने पर आत्मा आसानी से इसे त्याग देती है।

तीसरा नियम: यदि किसी शख्स की मौत सूर्यास्त के बाद होती है तो उस समय उसका अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। गरुड़ पुराण की माने तो सूर्यास्त के बाद शव को जलाना या दफनाना उचित नहीं है। इस स्थिति में शव को घर के अंदर ही रखे। हालांकि उससे दूरी बनाकर रखें। फिर अगले दिन सूर्यास्त के पूर्व उसका दाह संस्कार कर दें। इसकी वजह ये है कि सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने से आत्मा को शांति नहीं मिलती है।

चौथा नियम: अंतिम संस्कार हो जाने के बाद वहां रखी लकड़ी या कंडे के टुकड़े को चिता में डालते हैं। ऐसा करने के बाद पलट कर सीधा घर जाते हैं। भूलकर भी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं। ऐसा करने से आत्मा को लगता है कि उसके परिजनों का उससे मोह खत्म हो गया है। ऐसे में वह जल्दी से अपने अगले सफर की ओर चल देती है।

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