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टांग रखें हैं 6 साल से दुकान में फटे कपड़े, अंदर झाँक कर देखा तो उड़ गए होश

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में एक जिला है बालाघाट, बालाघाट में तहसील है वारासिनी में इस स्थान पर एक दुकान है जिसका नाम मानीबाई गोलछा साड़ी और रेडीमेड है यदि आप इस दुकान के सामने से दुकान की शक्ल देखेंगे तो इसको देख कर ऐसा लगता है कि यह कपड़ों की ही दुकान है क्योंकि बाहर कपड़े ही टंगे हुए हैं परंतु इसमें सबसे अजीब बात यह है कि दुकान के बाहर कपड़े नहीं फटे पुराने चीथड़े टंगे हुए हैं जो हर जगह से फटे हुए हैं इन सबको देखकर आपके मन में यही विचार आएगा कि या तो यह दुकानदार अलसी है या तो फिर इसके सामने का डिस्प्ले नहीं बदल सका है या तो फिर उसके दिमाग में कोई प्लान चल रहा है जिसकी वजह से इस दुकानदार ने अपनी दुकान को ऐसे बना रखा है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दुकानदार का नाम पीयूष गोलछा है और यह दुकान मार्केट में सबसे पहले यानी कि 8:00 बजे सुबह खुल जाती है पीयूष जैन है और पक्का पुजारी भी है वह सुबह सुबह नहा धोकर और धोती लपेट कर पूजा करने के लिए जाते हैं और वहां वापिस आने के बाद दुकान को खोलते हैं यह घर में ही है यह दुकान 15 फरवरी 2012 को खुली है वैलेंटाइंस डे के 1 दिन बाद और घर 2013 में बना है इससे वह कहावत याद आ जाती है कि दुकान से मकान बन सकता है लेकिन मकान से दुकान नहीं बन सकता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुकान कैसे खुली इसकी भी एक कहानी है पियूष ने 2008 में 12वीं पास की थी स्कूल में टॉप भी किया था फिर रायपुर चले गए थे CA की कोचिंग करने के लिए, इसी दौरान पापा की तबीयत काफी खराब हो गई थी उनकी पहले से ही कपड़े की दुकान है वह चाहते थे कि बड़ा बेटा यानि पीयूष का बड़ा भाई एक और कपड़े की दुकान खोल ले परंतु उसने नहीं खोली थी घर में गर्मा गर्मी भी हुई फिर पियूष ने कहा रुको हम खोलते हैं फिर यह दुकान खोली गई थी।

अब आप जानिए की दुकान के अंदर क्या-क्या मिलता है लोग जब दुकान पर आते हैं तो इतना हंसते हैं कि कभी-कभी तो पागल ही हो जाते हैं लेकिन जब दुकान के अंदर प्रवेश कर लेते हैं तो सारी की सारी हंसी उनकी रुक जाती है और उनका चेहरा गंभीर बन जाता है क्योंकि भाई यहां सब कुछ मिलता है सब कुछ का मतलब सब कुछ।

जन्म से लेकर मरने तक की ड्रेस बिना जेब की नैपी से लेकर बिना जेब के कफन तक सब कुछ, पूरी मार्केट में कपड़ों के लगभग 80-90 दुकानें हैं परंतु हर जगह सब कुछ नहीं मिल पाता है उन्होंने सारे पैसे डिस्प्ले और प्रचार में लगा दिए होंगे पीयूष ने इस बात की जानकारी दी कि यहां पर 110 नंबर तक की चड्डी भी मिल जाती है और तो और एक हजार में चार साड़ी और 10000 में एक साड़ी भी आप ले सकते हैं उसने इस दुकान से बहुत दाम भी कमाया और बहुत नाम भी कमाया, जो दिखता है वह बिकता है वाली कहावत भी पलट दी है अब वह बिकता है जो भाई साहब बेचते हैं।

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