अध्यात्म

बहुत अद्भुत है माता रानी का यह दरबार, दर्शन करने वालों की मनचाही इच्छा होती है पूरी

हमारे देश में ऐसे बहुत से प्राचीन मंदिर और पवित्र स्थल है जिसकी वजह से हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है, अक्सर लोग मंदिरों में जाकर अपने लिए प्रार्थना करते हैं, इन मंदिरों के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है, ऐसा बताया जाता है कि जो भी भक्त अपने सच्चे मन से मनोकामना मांगता है उसकी सभी इच्छा भगवान पूरी करते हैं, आज हम आपको देवी मां के ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां पर दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं और यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है, हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर मां विंध्यवासिनी का है, आदिशक्ति विंध्यवासिनी धाम में साल भर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है, परंतु शारदीय और चैत्र नवरात्रि में इस मंदिर में लोग देश के कोने-कोने से आते हैं, इस समय के दौरान भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है।

इस मंदिर के पुजारी का ऐसा बताना है कि वैसे तो रोजाना ही भक्त यहां पर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं, परंतु नवरात्रि के दिनों में यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन करीब डेढ़ से ढाई लाख श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं, यहां पर 12 किलोमीटर के दायरे में तीन प्रमुख देवियां अष्टभुजा पहाड़ी पर अष्टभुजी देवी, काली खोह पहाड़ी पर महाकाली का स्वरुप चामुंडा देवी विराजमान है और इनके बीच तीसरी देवी महालक्ष्मी जी के रूप में मां विंध्यवासिनी विराजमान है।

इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि नवरात्रि के दिनों में 9 दिनों तक मां भगवती मंदिर की छत के ऊपर पताका में ही विराजमान रहती है और कोई भी श्रद्धालु इसके दर्शन किए बिना नहीं वापस जाता है, ऐसा बताया जाता है कि पताका के दर्शन होने पर ही श्रद्धालु अपनी यात्रा सफल मानते हैं, मान्यता अनुसार मां विंध्यवासिनी नवरात्रि में पताका में वास करती है, यहां के पुजारी का बताना है कि मां विंध्यवासिनी की पीठ के दर्शन वर्षभर श्रद्धालु कर सकता है परंतु नवरात्रि के दिनों में यहां का विशेष महत्व माना गया है, यहां पर नवरात्रि के दिनों में 24 घंटे मां के दर्शन होते हैं, नवरात्रि में माता रानी का विशेष शृंगार किया जाता है।

मां विंध्यवासिनी 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, अन्य शक्तिपीठों में देवी के अलग-अलग अंगों के प्रतीक के रूप में ही इसकी पूजा होती है, ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त यहां पर अपने सच्चे दिल से माता रानी की पूजा करता है वह कभी व्यर्थ नहीं होती है, माता रानी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है, रोजाना ही यहां पर हजारों-लाखों की तादाद में भक्त माता के दरबार में अपना मत्था टेकने आते हैं और माता रानी की पूजा करते हैं, माता के इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में तांत्रिकों का भी जमावड़ा लगा रहता है, आधी रात के बाद रोंगटे खड़े कर देने वाली यहां पर पूजा आरंभ हो जाती है, तांत्रिक यहां पर अपनी तंत्र विद्या सिद्ध करते हैं, अगर आप इस मंदिर में माता रानी के श्रृंगार की सामग्री देना चाहते हैं तो आप भी दे सकते हैं, यहां पर लगातार पूजन करने वाले पुरोहित होते हैं, आप यहां पर श्रृंगार की सामग्री दे सकते हैं, श्रृंगार हो जाने के पश्चात सबसे पहले श्रृंगार कराने वाले को ही दर्शन कराए जाने की व्यवस्था यहां पर है।

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