अध्यात्म

माता का चमत्कारिक शक्तिपीठ, जहाँ 51 फीट ऊंचे स्तंभ पर दीप जलाने से मनोकामनाएं होती है पूरी

आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि जीवन की सभी परेशानियां भगवान के शरण में जाकर दूर हो जाती है, इसीलिए हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है, हमारे देश के लोगों में आस्था कूट-कूट कर भरी हुई है, ऐसे बहुत से मंदिर है जहां पर लोग अपनी समस्त परेशानियों से छुटकारा प्राप्त करने के लिए भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं, ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों के अंदर दर्शन करने वाले भक्तों के सभी कष्ट भगवान दूर करते हैं, आज हम आपको माता के 51 शक्तिपीठों में से एक ऐसे चमत्कारिक शक्तिपीठ के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां पर मौजूद स्तंभ पर दीपक जलाने से भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है।

आज हम आपको माता के जिस शक्तिपीठ के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह अद्भुत शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है, माता के इस मंदिर को हरसिद्धि मंदिर के नाम से जाना जाता है, वैसे देखा जाए तो इस मंदिर के अंदर हर समय भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है परंतु जब नवरात्रि के दिन आते हैं तो इस समय के दौरान भक्तों की कुछ ज्यादा ही भीड़ देखने को मिलती है, नवरात्रि के अवसर पर यहां पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, रात के समय यहां का माहौल बहुत ही अच्छा रहता है, रात के समय यहां का नजारा देखने लायक होता है, इस मंदिर के समीप ही महाकाल का मंदिर भी स्थित है, रात के समय हरसिद्धि मंदिर के कपाट बंद होने के पश्चात गर्भ गृह में विशेष पर्व के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना होती है, भक्तों की मुरादें पूरी करने के लिए यहां पर विशेष तिथियों पर पूजा कराई जाती है।

माता के इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां पर दीप जलाने से व्यक्ति का भाग्य खुल जाता है, यहां पर दीप जलाने का जिस किसी व्यक्ति को अवसर मिलता है वह बहुत ही भाग्यशाली माना गया है, इस मंदिर के पुजारी का ऐसा बताना है कि स्तंभ पर दीप जलाते हुए अगर कोई भक्त अपनी मनोकामना बोलता है तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है, हरसिद्धि मंदिर के यहां पर स्तंभ पर दीप जलाने के लिए हरसिद्धि मंदिर प्रबंध समिति में पहले बुकिंग की जाती है, जब कोई विशेष त्यौहार आता है तब इस मंदिर के स्तंभों पर दीप जलाने की बुकिंग वर्ष भर पहले ही भक्त करवा लेते हैं, कई बार तो ऐसा होता है कि कई महीनों तक श्रद्धालुओं की बारी ही नहीं आती है, वैसे पहले यहां पर दीप शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि तथा प्रमुख त्योहारों पर ही जलाए जाते थे परंतु अब यहां पर स्तंभ पर दीप रोजाना जलाए जाते हैं।

इस मंदिर को लेकर एक कहानी बताई जाती है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य माता हरसिद्धि के परम भक्त थे और यह हर 12 साल में एक बार अपना सिर माता के चरणों में अर्पित किया करते थे परंतु माता का ऐसा चमत्कार था कि राजा का सिर पुनः उसको वापस मिल जाता था परंतु जब राजा ने बारहवीं बार अपना सिर माता के चरणों में अर्पित किया तो वह दोबारा नहीं मिल पाया, जिसकी वजह से उनकी जिंदगी खत्म हो गई थी, वर्तमान समय में भी इस मंदिर के एक कोने में 11 सिंदूर लगे रुंड पड़े हैं ऐसा कहा जाता है कि यह राजा के ही कटे हुए सर है।

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