अध्यात्म

गणेश जी का प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर, जहां सिंदूर का चोला अर्पित करने से मुरादे होती है पूरी

भगवान गणेश जी को भक्तों के विघ्न हरने वाला माना जाता है, इसीलिए तो भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, सभी देवी देवताओं में भगवान गणेश जी को प्रथम पूजनीय होने का दर्जा दिया गया है जो भक्त किसी शुभ कार्य या पूजा पाठ में भगवान गणेश जी की प्रथम पूजा करता है उसको विशेष फल की प्राप्ति होती है, वैसे आप लोग भगवान गणेश जी के बहुत से मंदिरों में दर्शन करने के लिए गए होंगे और इन सभी मंदिरों की कोई ना कोई विशेषता यह खासियत अवश्य होगी, जिससे आप प्रभावित भी हुए होंगे, वैसे देखा जाए तो हमारे देश भर में भगवान गणेश जी के बहुत से मंदिर मौजूद है जो अपनी अपनी खासियत और अपने चमत्कार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है परंतु आज हम आपको भगवान गणेश जी के एक ऐसे प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो मंदिर बहुत ही प्राचीन है और इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास देखने को मिलता है, इस मंदिर में भगवान गणेश जी के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और सभी भक्तों की मनोकामनाएं गणेश जी पूरी करते हैं।

आज हम आपको जिस गणेश मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह मंदिर राजस्थान के जयपुर में स्थित है, भगवान गणेश जी का यह प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक माना जाता है, इस मंदिर को मोती डूंगरी गणेश मंदिर के नाम से लोग जानते हैं, और यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, भगवान गणेश जी के इस मंदिर में लोग देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी दर्शन के लिए आते हैं, और इस मंदिर में मौजूद भगवान गणेश जी की प्रतिमा से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते हैं, इस मंदिर में दाहिनी सूंड वाले गणेश जी की विशाल प्रतिमा मौजूद है जिस पर सिंदूर का चोला अर्पित करके इनका भव्य श्रृंगार किया जाता है, वैसे तो इस मंदिर के अंदर वर्षभर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है परंतु गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है लाखों की संख्या में भक्त यहां पर गणेश जी के दर्शन के लिए आते हैं, इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है, बुधवार के दिन भी इस मंदिर के अंदर भक्तों की बहुत भीड़ लगी रहती है।

भगवान गणेश जी को जयपुर के लोग प्रथम आराध्य मानते हैं, यहां के स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदता है तो उसको सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा बनाई गई है, इस मंदिर के अंदर नवरात्रि, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली के अवसर पर खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए लंबी लाइनें लगी रहती है, ऐसा माना जाता है कि नया वाहन यहां पर लाकर पूजा करने से वाहन की कोई भी दुर्घटना नहीं होती है, इसके अतिरिक्त यहां पर शादी के समय पहला निमंत्रण पत्र मंदिर में अर्पित करने की परंपरा भी है मान्यता अनुसार यदि शादी का पहला निमंत्रण पत्र गणेश जी को दिया जाए तो भगवान गणेश उनके घर आते हैं और विवाह संबंधित सभी शुभ कार्य सफलतापूर्वक पूरा करवाते हैं, इस मंदिर के आसपास और दूर-दूर से लोग शादी का निमंत्रण देने के लिए आते हैं।

अगर हम भगवान गणेश जी के मोती डूंगरी के मंदिर के बारे में जाने दो इसके इतिहास से इस बात की जानकारी मिलती है कि यहां पर स्थापित भगवान गणेश जी की प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ईस्वी में लाई गई थी, यह प्रतिमा गुजरात से मावली में लाई गई थी, यह प्रतिमा उस समय पर 500 वर्ष पुरानी थी जब यह मूर्ति यहां पर लाई गई तो जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल कोई इनकी देखरेख में रखा गया और मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर की स्थापना करवाई गई थी।

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