अध्यात्म

सावन के पावन महीने में करें ये एक उपाय, बदल जाएगा हमेशा के लिए आपका जीवन

सावन के महीने का जितना भी गुणगान कर लिया जाए काम ही है। सावन के महीने को ऐसे ही नहीं सबसे पवित्र और फलदायी महीना माना जाता है। इस महीने के बारे में कई धर्मशास्त्रों में भी बताया गया है। इस महीने की महिमा जानकर कई लोगों ने इस महीने में पूजा-अर्चना शुरू कर दी। सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन इस महीने में अन्य देवी-देवताओं की पूजा पाठ करने से भी विशेष लाभ होता है। सावन के महीने के बारे में कहा जाता है कि यह देवों के देव महादेव का सबसे प्रिय महीना है।

भगवान शिव हो जाते हैं बहुत जल्दी प्रसन्न:

सावन महीने में ही भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और एक महीने के लिए यही निवास करते हैं। इस वजह से यह महीना और भी ख़ास हो जाता है। शिवभक्तों के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने का इससे बेहतर समय और कोई हो ही नहीं सकता है। इसी वजह से इस पूरे महीने शिवभक्त अपने प्रभु को ख़ुश करने में लगे रहते हैं और तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। सावन में भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर व्यक्ति के सारे दुःख दूर कर देते हैं और सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं।

भगवान शिव की महिमा का गुणगान कई ग्रंथों में किया गया है। भगवान शिव से जुड़े कई ग्रंथ एवं पुराण हैं, लेकिन भगवान शिव की महिमा का गुणगान सबसे ज़्यादा शिवपुराण में किया गया है। इस वजह से इसका महत्व सबसे ज़्यादा है। शिवपुराण में कई ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है, जिसे अपनाकर कोई भी भगवान शिव को बहुत जल्दी ही प्रसन्न कर सकता है। अगर आप भी अपने जीवन में समस्याओं से परेशान हैं तो शिवपुराण में बताए गए इन उपायों को ज़रूर अपनाएँ। इन उपायों को सावन के महीने में करना ज़्यादा फलदायी माना गया है।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय:

शाम के समय के बारे में कहा गया है कि शाम के समय उजाला ज़रूर करना चाहिए। केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि देवी-देवताओं को भी उजाला अच्छा लगता है। यही वजह है कि देवी-देवताओं के समक्ष शाम के समय डिंपल जलाने की परम्परा सदियों से है। रोज़ाना शाम ढलने के बाद भगवान शिव के समक्ष डिंपल जलाएँ। इससे भगवान शिव बहुत ज़्यादा प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों को हमेशा के लिए दूर कर देते हैं।

कथा:

बहुत समय पहले की बात है गुणनिधि नाम का एक बहुत ग़रीब व्यक्ति था। भूखा होने की वजह से वह एक बार भोजन की तलाश में भटक रहा था। खाने की व्यवस्था करते-करते रात हो गयी। अब उसके पास रुकने की समस्या थी। इस वजह से वह एक शिवमंदिर में पहुँच गया। गुणनिधि ने रात के समय में मंदिर में रुकने का निर्णय किया। रात का समय था, इसलिए वहाँ बहुत अँधेरा था। अंधेरे को दूर करने के लिए गुणनिधि ने अपनी क़मीज़ जला दी। इससे उजाला हो गया और भगवान शिव बहुत ज़्यादा पप्रसन्न हुए। शिवजी ने उसे वरदान दिया और अगले जन्म में यह व्यक्ति देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर बन गया।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button