अध्यात्म

माता का चमत्कारिक दरबार, जहां कन्याओं को मिलता है मनचाहा वर, आने वाले की मनोकामना होती है पूरी

माता का बहुत ही कोमल हृदय होता है, कभी भी माता अपने भक्तों को परेशानी को नहीं देख सकती है, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं देशभर में दुर्गा माता के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं, जिनमें से कुछ शक्तिपीठ भी शामिल है और इन सभी मंदिरों की अपनी अपनी खासियत और चमत्कार माने गए हैं, जिसकी वजह से यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है, व्यक्ति अक्सर माता के दरबार में अपनी दुख परेशानियां लेकर जाता है, उनके मन में यही आशा रहती है कि माता रानी उनकी पुकार अवश्य सुनेगी और उनके जीवन के सभी दुख दूर करेंगीं, आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस मंदिर के अंदर माता रानी अपने हर भक्तों की मुरादें पूरी करती है, जो भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए आता है उसके ऊपर माता का आशीर्वाद बना रहता है।

दरअसल, आज हम आपको माता के जिस चमत्कारिक दरबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, यह मंदिर उत्तर प्रदेश के लालगंज क्षेत्र के गेंगांसो में स्थित है, इस मंदिर को संकटा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है, यह दुनिया भर में अपने चमत्कार के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है, यह मंदिर बहुत ही अद्भुत माना गया है, यहां पर आने वाले भक्तों का ऐसा बताना है कि जो यहां पर व्यक्ति आता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।

इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो कुंवारी लड़कियां है वह यहां पर आकर माता के दर्शन करती है और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए माता से प्रार्थना करती है, माता रानी जी कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए वरदान देती है, इतना ही नहीं बल्कि जिन शादीशुदा जोड़ों की संतान नहीं है, वह भी यहां पर आकर मन्नत मांगते हैं और दंपतियों की सुनी गोद माता रानी की कृपा से भर जाती है, भक्तों का ऐसा कहना है कि इस मंदिर में लाल चुनरी बांधने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, जब व्यक्ति की मुरादे पूरी हो जाती है तब वह यहां पर आकर माता रानी को अति प्रिय सिंघाड़े का लड्डू अर्पित करते हैं।

संकटा देवी मंदिर की स्थापना के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में की गई थी, एक प्रचलित कहानी के अनुसार बैसवारा के क्षत्रिय राजा त्रिलोक चंद्र की कोई संतान नहीं हो रही थी, जिसको लेकर वह बहुत ही चिंतित थे, वह अपनी इस परेशानी को लेकर राजा त्रिलोक चंद्र काशी पहुंचे थे, वहां पर पहुंचकर उन्होंने महर्षि पुंज राज बाबा से अपनी परेशानी बताई, इसके पश्चात बाबा ने राजा को पुत्र प्राप्ति का मार्ग बताया था, तब उन्होंने राजा से पुत्र येष्ठि यज्ञ करवाया था, जब यह यज्ञ समाप्त हुआ तब राजा को पुत्र रत्न प्राप्ति की शुभ सूचना मिली थी, ऐसा बताया जाता है कि जिस जगह पर राजा ने यह पुत्र येष्ठि यज्ञ करवाया था उसी स्थान पर यह मंदिर बना हुआ है।

इस मंदिर के अंदर लोग अपनी दुख परेशानियां लेकर आते हैं और माता रानी की कृपा से लोगों को अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है, मान्यता अनुसार यह माता का दरबार बहुत ही अद्भुत और चमत्कारिक माना गया है, इस मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्तों के मायूस चेहरे पर खुशियां आ जाती है।

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