अध्यात्म

शिव मंदिर में जाकर करें ये छोटा सा काम, आपकी सभी इच्छाएं हो जाएंगी पूरी

महादेव सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माना जाने जाते हैं, महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है, भोलेनाथ को देवों का देव माना जाता है, महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, ऐसे बहुत से लोग हैं जो शिवरात्रि के दिनों में अपने घर के अंदर ही शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा अर्चना करते हैं और कई लोग भगवान शिव जी के मंदिर में जाकर उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते है, मंदिरों में शिवलिंग पर अभिषेक भी किया जाता है और बेलपत्र, पंचामृत भगवान शिव जी पर अर्पित किया जाता है इसी प्रकार के तरह-तरह के उपाय है जो भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार करता है जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं जल्द से जल्द पूरी हो सके, भगवान शिव जी की कृपा से उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो सके, परंतु इन सभी चीजों के अलावा भी एक ऐसा उपाय है जिससे भगवान शिव जी के पास आपकी मनोकामना बहुत शीघ्र पहुंच सकती है अगर आप यह उपाय करते हैं तो भगवान शिव जी आपकी पुकार अवश्य सुनेंगें और आपकी सभी इच्छाएं जल्द से जल्द पूरी होंगी, आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से इसी उपाय के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

जैसा कि आप सभी लोगों को इस बात की जानकारी है कि भगवान शिव जी का वाहन नंदी है और आप हर शिव मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के साथ नंदी को देख सकते हैं सभी शिव मंदिरों में शिव जी के साथ नंदी विराजमान रहते हैं अगर हम शास्त्रों के अनुसार देखे तो अगर मंदिर में जाकर नंदी के कान में चुपके से कोई मन्नत मांगी जाती है तो वह मन्नत बहुत शीघ्र पूरी होती है परंतु ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिनको इस बारे में पता होगा कि आखिर शिवजी तक अपनी मनोकामना पहुंचाने के लिए नंदी के कान में क्यों मन्नत कही जाती है इसके पीछे भी मुख्य कारण है।

भगवान शिवजी तपस्वी है और आप लोगों ने ज्यादातर इनकी प्रतिमा या तस्वीर में इनको हमेशा समाधि में ही देखा होगा, ऐसी स्थिति में अगर हम कोई अपनी मनोकामना मांगते हैं तो भगवान शिवजी तक यह नहीं पहुंच पाती है, ऐसे में नंदी महाराज के माध्यम से ही हम अपनी मनोकामनाएं भगवान शिव जी तक पहुंचा सकते हैं, इसी मान्यता की वजह से अक्सर लोग अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहते हैं, अगर हम पौराणिक कथाओं के अनुसार देखे तो शिलांद नाम के एक मुनि थे जो ब्रह्मचारी थे उनका वंश समाप्त होता हुआ देख उनके पितरों ने उनसे संतान उत्पन्न करने को कहा था शिलांद मुनि ने भगवान शिव जी की तपस्या करके उनको प्रसन्न किया और अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र को मांगा था शिव जी ने मुनी को यह वरदान दे दिया था जब 1 दिन शिलांद मुनि भूमि जोत रहे थे तब उनको एक बालक मिला था शिलांद मुनि ने उस बालक का नाम नंदी रखा था।

एक बार मित्रा और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम आए हुए थे और उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है तो इस बात को सुनकर नंदी महादेव की आराधना करने लगे थे उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने उनको दर्शन दिए और नंदी को अपना गणाध्यक्ष भी बनाया था भगवान शिव जी और पार्वती ने सभी गणों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया था उसके पश्चात भगवान शिव जी ने नंदी को वरदान दिया था कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी विराजमान रहेंगे और जो भक्त अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहेगा और नंदी की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होगी, बस यही कारण है कि लोग अपनी मनोकामना को नंदी के कान में कहते हैं और उनकी मनोकामना पूरी भी होती है।

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