अध्यात्म

अगर करते हैं पीपल की पूजा तो जान ले ये नियम, वरना हो जाएंगे कंगाल

सनातन धर्म में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, यहां तक कि हिंदू धर्म में कई सारे पेड़-पौधों की भी पूजा का विधान है, पीपल भी ऐसा ही एक पूज्यनीय पेड़ है, जिससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। हिंदु धर्म में पीपल को कलियुग का कल्प वृक्ष माना जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार पीपल पेड़ के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और आगे के भाग में भगवान शिव विराजमान रहते हैं। ऐसे में पीपल की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसके शत्रुओं का नाश होता है। पर उसके साथ ही शास्त्रों में पीपल के पेड़ की पूजा और उसके रखरखाव के सम्बध में कुछ खास नियम का उल्लेख किया गया हैं, जिनकी अवहेलना करने पर व्यक्ति को बुरे परिणाम मिल सकते हैं। आज हम आपको पीपल के पूजन की उचित विधि-विधान और उससे जुड़े कुछ जरूरी नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

दरअसल अक्सर लोग पूजा करते समय जरूरी नियमों की अवहेलना कर देते हैं, जबकि पूजा-अर्चना के साथ उससे जुड़े नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है,वरना हमारी पूजा फलीभूत होने के बजाए हमारे लिए अनिष्टकारी सिद्ध हो सकती है। यही बात पीपल की पूजा के सम्बंध में लागू होती है। शास्त्रों में पीपल की पूजा को विशेष मह्तव दिया गया है। दरअसल पीपल के पेड़ को शनिदेव जोड़ा गया है।ऐसे में शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाने से शनि के समस्त दोषों से मुक्ति मिलती है। वहीं पीपल के वृक्ष की पूजा करने से कालशर्प दोष और पितृदोष भी शांत हो जाता है। पर इसके लिए आवश्यक है कि सही विधि विधान के पीपल की पूजा की जाए । पर अक्सर लोग कुछ गलतियां कर बैठते हैं जैसे कि..

ब्रह्ममुहूर्त यानी सुबह में मंदिर जाना और पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसे में लोग पीपल की पूजा अर्चना भी सुबह के समय करते हैं, पर आपको बता दे कि शास्त्रों के अनुसार ब्रह्ममुहूर्त में पीपल को जल चढ़ाना अशुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से से देवी लक्ष्मी नाराज होती हैं और घर में अलक्ष्मी का वास होता है। दरअसल धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ में सूर्यास्त के बाद ही जल चढ़ाना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा आप पर बरसती रहेगी।

जहां शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने और पूजा करने से कष्टों से राहत मिलती है। पर वहीं रविवार के दिन पीपल के पेड़ को पूजा तो दूर उसे छुने की भी मनाही होती है, इसके बारे में एक पौराणिक मान्यता है कि देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी दरीद्रा रविवार के दिन पीपल के पेड़ में वास करती हैं ऐसे में जो भी जातक उस दिन पीपल की पूजा या उसे छूता है तो वो दरीद्रता के सम्पर्क में आ जाता है और फिर वो दरीद्रता का शिकार बन जाता है।

वहीं स्कन्द पुराण के अनुसार जो व्यक्ति पीपल की एक डाल भी काटता है, उसे पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। वहीं उसके साथ ही उसके पितरो को भी शांति नहीं मिलती है। इससे अलावा इसेस वंश वृद्धि में भी बाधा होती है। वैसे अगर पूरे विधि-विधान और नियमानुसार पूजन या यज्ञ करवाकर पीपल की लकड़ी काटी जाए तो फिर इससे दोष नहीं लगता।

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