अध्यात्म

26 जून स्कंद षष्ठी को इस तरह करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, होगी सुख-वैभव की प्राप्ति

हमारे भारत देश में ऐसे बहुत से पर्व-त्यौहार मनाये जाते हैं जिनका अपना अपना महत्व माना गया है, हमारा देश धार्मिक देशों में से एक माना गया है और यहां के लोगों में आस्था कूट-कूट कर भरी हुई है, लोग भगवान की आराधना करके अपने घर परिवार की खुशियों की प्रार्थना करते हैं, बहुत से लोग ऐसे हैं जो भगवान का व्रत करते हैं और अपने घर परिवार की परेशानियां दूर करने की भगवान से प्रार्थना करते हैं, आपको बता दें कि स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय के लिए रखा जाता है, 26 जून 2020 को स्कंद षष्ठी का व्रत पड़ रहा है, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है, वैसे देखा जाए तो यह व्रत मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में लोकप्रिय माना गया है, इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती जी के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व बताने जा रहे हैं।

स्कंद षष्ठी व्रत शुभ मुहूर्त

26 जून 2020 को स्कंद षष्ठी व्रत का प्रारंभ प्रातः काल में 7:02 बजे से होगा और 5:03 बजे यानी 27 जून 2020 को यह समाप्त होगा।

स्कंद षष्ठी व्रत विधि

  1. अगर आप स्कंद षष्ठी का व्रत कर रहे हैं तो इसके लिए आप इस दिन सुबह के समय जल्दी उठ जाइए और अपने पूरे घर की अच्छी तरह से साफ सफाई कर लीजिए इसके पश्चात आपको स्नान ध्यान करके सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना होगा।
  2. आप अपने घर के पूजा स्थल में भगवान शिव जी और मां गौरी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कीजिए और इनकी पूजा मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र, जल आदि से कीजिए।
  3. आखिर में आपको भगवान की आरती करनी होगी और शाम के समय आप कीर्तन भजन पूजा के पश्चात इनकी आरती कीजिए, इसके पश्चात आप फलाहार कर सकते हैं।

स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व

अगर हम धार्मिक मान्यता के मुताबिक देखे तो जो व्यक्ति स्कंद षष्ठी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा करता है उसके जीवन की सभी प्रकार की कठिनाइयां दूर हो जाती है, जो व्यक्ति यह व्रत करता है उसको अपने जीवन में सुख की प्राप्ति होती है इतना ही नहीं बल्कि उसको वैभव की भी प्राप्ति होती है, अगर किसी व्यक्ति को संतान के कष्टों को कम करना है तो इसके लिए यह व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है, आप इस व्रत को करके अपने संतान के सुख की कामना कर सकते हैं, यह व्रत प्रमुख रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है, दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम के नाम से भी जानते हैं और इनका सबसे पसंदीदा फूल चंपा है, इसलिए इसलिए इस व्रत को चंपा षष्टि के नाम से भी जानते हैं।

धार्मिक मान्यता अनुसार यह व्रत बहुत ही शुभ फलदाई माना गया है, इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन के तमाम कष्ट भगवान की कृपा से दूर होते हैं और व्यक्ति को अपने जीवन में सभी सुखों का आनंद प्राप्त होता है, आप उपरोक्त बताई गई स्कंद षष्ठी व्रत विधि द्वारा भगवान की पूजा करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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