अध्यात्म

पिता-पुत्र का संबंध होने के बावजूद सूर्यदेव और शनिदेव में दुश्मनी क्यों है? जानिए पौराणिक कथा

धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि से देखा जाए तो शनि देव का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान माना गया है, यह सबसे क्रूर ग्रह माने गए हैं, ऐसा बताया जाता है कि यदि इनकी बुरी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाए तो उस व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मच जाती है, व्यक्ति को हर क्षेत्र में निराशा का सामना करना पड़ता है और जीवन बहुत ही कठिन पूर्वक व्यतीत होता है, परंतु इनकी कृपा दृष्टि किसी व्यक्ति पर बनी रहे तो उस व्यक्ति के मुश्किल से मुश्किल हालात भी सुधर जाते हैं, व्यक्ति अपने घर परिवार के साथ हंसी-खुशी समय व्यतीत करता है, शनि देव न्याय के देवता है और यह मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं, शनि देव सूर्यपुत्र है परंतु इन दोनों के बीच गहरी दुश्मनी है, आखिर इन दोनों का संबंध पिता-पुत्र होने के बावजूद भी यह दोनों एक दूसरे के दुश्मन क्यों है? शायद ही सभी लोगों को इसकी जानकारी होगी, दरअसल शनिदेव और सूर्य देवता के बीच गहरी दुश्मनी क्यों है इसका जिक्र पौराणिक कथाओं में किया गया है।

जानिए सूर्य देव और शनि देव से जुड़ी कथा

सूर्य देवता न्याय के देवता शनि देव के पिता है, परंतु इन दोनों के बीच पिता पुत्र का संबंध होने के बावजूद भी यह एक दूसरे के दुश्मन है, इनकी दुश्मनी के बारे में पौराणिक कथाओं में जिक्र किया गया है, ऐसा बताया जाता है कि सूर्य देवता का विवाह संज्ञा के साथ हुआ था, सूर्य देवता का तेज बहुत अधिक था, जिसको सहन करने की शक्ति संज्ञा में नहीं थी, सूर्य देवता के तेज को संज्ञा सहन नहीं कर पाती थी, जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया वैसे-वैसे संज्ञा भी सूर्य देवता के विशाल तेज को सहन करती गई थी, इन दोनों से यम, यमी, वैवस्त मनु नामक संतानों की उत्पत्ति हुई थी, लेकिन सूर्य देवता का तेज सहन करना संज्ञा के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा था।

जब संज्ञा ने देखा कि सूर्य देवता का तेज बहुत अधिक है जिसको वह सहन नहीं कर पा रही है तो ऐसी स्थिति में उसके मन में एक उपाय आया, संज्ञा ने अपनी परछाई छाया को सूर्य देवता के पास छोड़ कर चली गई, जब संज्ञा अपनी परछाई को सूर्य देवता के पास छोड़कर गई तब सूर्य देवता को छाया पर बिल्कुल भी संदेह नहीं हुआ था, सूर्य देव और छाया हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, इन दोनों से भद्रा, तपती, सावर्ण्य मनु और शनि देव का जन्म हुआ था, कथा अनुसार जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया अधिक व्रत और तपस्या करती थी, जिसकी वजह से शनिदेव का रंग काला हो गया था, जब शनिदेव का जन्म हुआ तब सूर्य देवता ने अपनी संतान शनि देव को देखा और वह शनिदेव को देखकर काफी आश्चर्यचकित हो गए थे, शनिदेव के काले रंग को देखकर शनि देव को गुस्सा आया और उन्होंने इनको अपनी संतान मानने से मना कर दिया था, उन्होंने छाया से कहा कि यह उनका पुत्र नहीं है, छाया ने सूर्य देवता को बहुत समझाया परंतु सूर्य देवता बिल्कुल भी नहीं माने थे, जब शनि देवता ने देखा कि उनकी माता छाया का अपमान हो रहा है तो उनके मन में सूर्य देवता के प्रति शत्रुता की भावना उत्पन्न हुई।

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