अध्यात्म

जब शिव ने विषपान करके की थी सृष्टि की रक्षा, तब महादेव को होने लगी शारीरिक पीड़ा, जाने पूरी कथा

भक्तों के प्रिय भगवान शिव जी को सावन का महीना सबसे अधिक पसंद है, ऐसा बताया जाता है कि सावन महीने में यदि भक्त भगवान शिव जी की पूजा आराधना करता है तो इससे महादेव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं, शिवभक्त सावन महीने में सोमवार का व्रत करते हैं और कांवड़ में गंगाजल भरकर सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के पश्चात जल्द से महादेव का अभिषेक करते हैं, धार्मिक मान्यता अनुसार यदि सावन महीने में भगवान शिव जी की पूजा की जाए तो इससे भक्तों का जीवन सफल होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, अगर व्यक्ति सावन में भगवान शिव की आराधना करता है तो उसकी सभी अधूरी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती है।

जैसा कि आप लोग जानते हैं सावन के महीने में भगवान शिव जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, परंतु आखिर सावन का महीना ही भगवान शिव जी को क्यों प्रिय है? इसी समय के दौरान शिवजी की आराधना करना अत्यंत फलदाई क्यों माना जाता है? आज हम आपको इससे जुड़ी हुई पौराणिक कथा के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

महादेव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष पिया था

एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब मंथन के दौरान बहुत सी चीजें निकली थी और इसमें विष भी निकला था, जब समुद्र मंथन में विष निकला तो सभी देवता गण परेशान हो गए क्योंकि इसकी वजह से सृष्टि खतरे में आ सकती थी, तब देवों के देव महादेव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकला हुआ हलाहल विष पीकर इस संसार की रक्षा की थी, विष पीने के बाद इनके शरीर का ताप इतना अधिक हो गया कि यह काफी परेशान होने लगे, इनका शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो गया, जिससे इनको काफी दिक्कत महसूस होने लगी थी, भगवान शिव जी की परेशानी देखकर देवता काफी चिंतित हुए।

इंद्रदेव ने कराई थी बारिश

भगवान शिव जी को परेशानी में देख देवताओं को चिंता सताने लगी, भगवान शिव जी को परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी, ऐसा बताया जाता है कि यह घटना सावन महीने में घटी थी और भगवान शिव जी ने इसी समय के दौरान विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी, इंद्रदेव ने बारिश करके भगवान शिव जी के शरीर की गर्माहट को शीतल किया था, तभी से यह माना जाता है कि सावन के महीने में यदि भक्त भगवान शिव जी की पूजा आराधना करता है तो इससे उनके कष्ट जल्दी दूर हो जाते हैं, देश के ऐसे बहुत से शिव मंदिर हैं जहां पर सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।

सावन महीने में देवी पार्वती ने की थी कठोर तपस्या

सावन महीने को लेकर एक और कथा बताई जाती है, ऐसा बताया जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पर देवी सती का पार्वती के रूप में दोबारा से जन्म हुआ था, तब पार्वती माता ने भगवान शिव जी को पुनः अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की थी, तब शिव जी ने प्रसन्न होकर माता पार्वती जी की मुराद पूरी की थी और उनसे विवाह कर लिया था, इस वजह से भी भगवान शिव जी को सावन का महीना अत्यधिक पसंद है।

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