अध्यात्म

एक ऐसा चमत्कारिक मंदिर जहां विराजमान है 4 मुंह वाला शिवलिंग, जानिए इसका अद्भुत रहस्य

देश भर में ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां पर देवी देवताओं का प्रमुख स्थान माना गया है, इन स्थानों पर ऐसे बहुत से चमत्कारिक मंदिर है जो काफी प्राचीन है इसके अलावा इन मंदिरों की अपनी-अपनी विशेषता है जिसके प्रति लोग इन मंदिरों की तरफ खिंचे चले आते हैं, इन मंदिरों के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और यहां इन मंदिरों में बहुत से चमत्कार भी होते हैं, इन्हीं स्थानों में से एक नेपाल की पावन भूमि अध्यात्म की सुगंध से सराबोर है, नेपाल की पावन धरती पर पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है, जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर वर्तमान समय में भी भगवान भोलेनाथ विराजमान है, आप लोगों ने बहुत से शिव मंदिरों के दर्शन किए होंगे और बहुत से शिव मंदिरों के बारे में सुना होगा, परंतु इन सभी मंदिरों में 1 मुंह वाला शिवलिंग स्थापित होता है परंतु पशुपतिनाथ मंदिर में जो शिवलिंग विराजमान है उसका एक मुह नहीं है बल्कि इस मंदिर के अंदर 4 मुंह वाला शिवलिंग विराजमान है जी हां, आप लोग बिल्कुल सही सुन रहे हैं, लेकिन पशुपतिनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग ऐसा क्यों है? आज हम आपको इस शिवलिंग के अद्भुत रहस्य की पौराणिक कथा के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

ज्यादातर लोगों को इस बारे में जानकारी होगी कि शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग है इन ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना गया है, पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में मौजूद है, इस मंदिर को सभी मंदिरों से प्रमुख माना गया है, इस मंदिर के अंदर 4 मुँह वाला शिवलिंग विराजमान है, पूरब दिशा की ओर वाला मुँह तत्पुरुष और पश्चिम की ओर मुख को सिद्ध ज्योत कहा जाता है उत्तर दिशा की ओर देख रहा मुख वामदेव है और दक्षिण दिशा की ओर मुख अघोर कहा जाता है, ऐसा बताया जाता है कि इस शिवलिंग के चारों मुंह तंत्र विद्या के 4 बुनियादी सिद्धांत है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाभारत युद्ध के समय पांडवों के द्वारा अपने रिश्तेदारों का रक्त बहाया गया था, तब अपने भाइयों का वध करने के कारण पांडव काफी निराश थे, क्योंकि उन्होंने अपने सगे संबंधियों को ही मार दिया था, उनको अपनी करनी पर काफी पछतावा भी हुआ था, जिससे छुटकारा प्राप्ति हेतु भगवान कृष्ण जी ने पांडवों को शिव जी के शरण में जाने के लिए कहा था, जब भगवान श्री कृष्ण जी ने शिव जी की शरण में जाने को कहा तो पांडव शिवजी की खोज में निकल पड़े थे परंतु भगवान शिव जी यह नहीं चाहते थे कि उनको इस अपराध से इतनी आसानी से छुटकारा मिले, इसलिए भगवान शिव जी ने पांडव को अपने पास देखकर उन्होंने एक बैल का रूप धारण किया था और वहां से भागने की कोशिश करने लगे थे परंतु पांडव यह समझ गए और वह उनको पकड़ने का प्रयत्न करने लगे थे, इसी भागदौड़ के समय भगवान शिव जी जमीन में लुप्त हो गए थे, जब वह बाहर निकले तो उनका शरीर चार भागों में बटा हुआ था, ऐसा बताया जाता है कि तब से ही शिव जी यहां पर चार मुख वाली शिवलिंग के रूप में विराजमान है और तभी से इनकी पूजा अर्चना की जाती है।

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