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मोदी सरकार ने आने वाली जंग से निपटने की पूरी की तैयारी, अब ज़मीन के नीचे जमा किया जाएगा तेल

ओड़ीसा और कर्नाटका में अंडरग्राउंड क्रूड ऑयल स्टोरेज बनाने के लिए मोदी सरकार ने दी सैद्धांतिक मंजूरी । इस परियोजना के सफल होने से 22 दिन का इमरजेंसी स्टोरेज भारत के पास हो जाएगा इकट्ठा । यह स्टोरेज बनाने का कारण ये भी है कि यदि विदेश से ऑयल सप्लाई कम होती है या युद्ध का माहौल बनता है भारत के पास एनर्जी सिक्योरिटी होनी चाहिए । 6.5 मिलियन टन (M M T) की कैपेसिटी के साथ बनाए जाएंगे ये दो स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (S P R) । इस पहले भारत के पास 3 जगह पर है ये (SPR) – विशाखापट्टनम (1.3 MMT) , मंगलौर (1.5 MMT) , और पदूर (2.5 MMT) तीनों मिलकर 5.33 MMT स्टोरेज की अंडरग्राउंड गुफाएं है । सरकार ने बोहोत ही सोच समझ कर ये फैसला लिया जो आगे जाकर हमारे बोहोत काम आ सकता है ।

क्या है SPR 


देश में मौजूद ऑयल कंपनी के पास पड़े क्रूड ऑयल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के अलावा भी एक ओर रिजर्व बनाया जाना ज़रूरी होता है , वह कहलाता है स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व यानी SPR । जमीन के नीचे पथरों की गुफाओं में बनाया जाता है क्रूड ऑयल स्टोरेज । ये पत्थर की गुफाएं मानव निर्मित होती है जो कि हाइड्रोकार्बन जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है । इसे हम एक तरह का अंडरग्राउंड टैंक भी मान सकते हैं । इसमें लंबे समय के लिए क्रूड ऑयल सुरक्षित रखा जा सकता है । SPR एक बोहोत ही समझदार पहल है जिस से भविष्य में हम पड़ोसी देशों के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा ।

क्‍यों बनाया जा रहा है इन्हें ?

बाहरी सप्लाई में रुकावट या किसी भी प्रकार की कटौती के दौरान राहत उपलब्ध कराने के लिए इन क्रूड ऑयल रिजर्व को बनाया जा रहा है जिस से कि भारत की एनर्जी सिक्योरिटी को सुनिश्चित किया जा सके ।इनकी मैनेजमेंट इंडि‍यन स्‍ट्रैटजि‍क पेट्रोलि‍यम रि‍जर्व लि‍मि‍टेड के द्वारा किए जाता है । देश में विभिन्न कंपनियां हैं जिनके पास शायद ऑयल रिजर्व होगा परन्तु उसपे सरकार। कमालिकाना हक नहीं है और युद्ध या इमरजेंसी जैसी परिस्थिति में लड़ाकू विमान , बॉर्डर टैंक आदि में तेल की बोहोत मात्रा में ज़रूरत पड़ेगी । बॉर्डर के अलावा देश के ऑफिसर , मंत्री आदि के लिए भी भ्ट ज़रूरी है। किव समय पर ऑफिस पहुंचे और काम जारी रखे ताकि इमरजेंसी जल्द जल्द हटाई जा सके ।

भोजन की नहीं रहेगी किल्लत

पेट्रोलियम यदि नहीं होगा तो गा सिलेंडर की मात्रा में कटौती होगी और आम जनता को बोहोत दिक्कत होगी । चाहे युद्ध चल रहा हो या देश में इमरजेंसी लगी हो , भोजन तो सभी को अनिवार्य है । यदि पेट्रोलियम ही नहीं होगा तो LPG की सेवा की उपलब्धि नष्ट हो जाएगी । आज यदि हम कल का ना सोच कर इसे है समय व्यतीत करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब लोग भारत देश में भुखमरी से मारने लगेंगे क्युकी कचा माल तो होगा लेकिन पकाने के लिए चूल्हा नहीं चल पाएगा । रोज मजार की जिंदगी में हम सब कहीं ना कहीं वाहनों का इस्तेमाल करते है , कुछ के पास खुद का पर्सनल वाहन है तो कुछ पब्लिक वाहन यानी बस , ट्रेन आदि में सफर करते है । क्योंकि अभी इलेक्ट्रिक गाड़ी सबके पास नहीं है , तो ये भी एक बोहोत बड़ी दिक्कत हो सकती है आगे हमारे लिए । इसलिए SPR निर्माण किया जा रहा है ।

ऐसे मिला था आईडिया 

भारत ने संकट को हल करने के लिए आर्थिक नीति पेश की है: इसी बीच उदारीकरण, तटस्थता और वैश्वीकरण को सामने लाया गया । हालांकि, तेल की कीमतों में उतार चढ़ाव लगातार भारत को प्रभावित करता है। तेल बाजार के समाधान के रूप में, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1 99 8 में रिजर्व ऑफ द ईयर की अवधारणा का विचार दिया था ।

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