अध्यात्म

इस गुरूद्वारे में ना बनता है लंगर, ना होता है दान,फिर भी कोई इस गुरूद्वारे से नहीं जाता है भूखा

हर धर्म में उनके भगवान के स्थल की काफी मान्यता होती है। हिंदुओं में मंदिर, मुस्लिमों में मस्जिद, ईसाईयों में चर्चे और पंजाबियों में गुरूद्वारा। बता दें तो वैसे इन चारों ही जगहों पर भकतगढ़ों का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां पर लोग सिर्फ दर्शन करने ही नहीं बल्कि ईश्वर की सेवा करने के लिए भी आते हैं, लेकिन पंजाबियों में ईश्वर की सेवा करने का एक अलग ही भाव देखा जाता है।

बात करें दिल्ली में स्थित बंगला साहेब की या फिर अमृसतर में स्थित स्वर्ण मंदिर की और ऐसी ही ना जानें कितनी गुरूद्वाराएं हैं। बता दें कि गुरूद्वारे में लोग सेवा के भाव से जाते हैं और वहां पर काम करते हैं। इसमें हर कोई अपनी इच्छा से लोगों की सेवा करता है। जिसमें लोगों को पानी पिलाना, खाना खिलाना, किचन में खाना बनवाना, बर्तन धोना, जूते पालिश करना, गुरूद्वारे की साफ-सफाई से लेकर के अलग-अलग तरह के ना जाने कितने काम होते हैं। लोग यहां पर सेवा करने के साथ दान-दक्षिणा भी खूब करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गुरूद्वारे के बारे में बताएंगे जहां पर ना तो लंगर बनता है और ना ही कोई दान देता है लेकिन इसके बावजूद भी कोई इंसान वहां से भूखा नहीं जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं इस गुरूद्वारे के बारे में।

हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ के सेक्टर-28 में स्थित गुरूद्वारे नानकसर की। बता दें कि यह एक ऐसा गुरूद्वारा है जहां पर ना तो लंगर लगता है और ना ही कोई दानपात्र यानि को कोई गोलक है। लेकिन तब भी यहां पर आने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं जाता है। बता दें कि इस गुरूद्वारे में संगत अपने घर से ही लंगर बना कर गुरूद्वारे में लाते हैं। जहां पर लोग अलग-अलग तरह के खाने लेकर के आते हैं जिसमें देशी घी के परांठे, मक्खन, अलग-अलग सब्जियां, दाल और मिठाइयां होती हैं।

बता दें कि लंगर छकने के बाद जो भी खाना बच जाता है उसे सेक्टर 16 और 32 के अस्पतालों के अलावा पीजीआई अस्पताल में भी भिजवा दिया जाता है। ताकि वहां पर भी कोई भूखा ना रहे और लंगर का प्रसाद भी पा सके। बता दें ऐसा कई सालों से होता जा रहा है।

दांतों का फ्री में होता है इलाज

बता दें कि इस गुरूद्वारे का निर्माण दीवाली के दिन हुआ था। और इसको बने हुए 50 सालों से भी ज्यादा का समय हो गया है। इस गुरूद्वारें में भोजन के अलावा एक लाइब्रेरी भी है। साथ ही यहां पर दांतो का फ्री इलाज भी होता है।

इसके अलावा यहां पर र साल एक मार्च के महीने में वार्षिक उत्सव होता है। यह वार्षिकोत्सव कुल सात दिनों का होता है। जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से संगत इसमें शामिल होने के लिए आती है। साथ ही इन दिनों यहां पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया जाता है।

लुधियाना के पास है हेडक्वार्टर

बता दें कि इस गुरूद्वारे का मेन हेडक्वार्टर लुधियाना में हैं। गुरुद्वारा नानकसर में 30 से 35 लोग, जिसमें रागी पाठी और सेवादार हैं। चंडीगढ़ हरियाणा, देहरादून के अलावा विदेश जिसमें अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड में एक सौ से भी अधिक नानकसर गुरुद्वारे हैं।

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