अध्यात्म

दुनिया के इस इकलौते शिव मंदिर में होती है शिव के अंगूठे की पूजा, शंकर जी हर मुराद करते हैं पूरी

भगवान शिव जी के भक्तों की इस दुनिया में कमी नहीं है, भगवान शिव जी के भक्त इनकी पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं, जिस तरह भगवान शिवजी स्वभाव के भोले हैं उसी तरह इनके भक्तों में भी भोलापन देखने को मिलता है, ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव जी अपने भक्तों से बहुत शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, जो भक्त अपने सच्चे मन से इनको याद करता है उसकी पुकार ये अवश्य सुनते हैं, वैसे देखा जाए तो दुनिया भर में भगवान शिव जी के बहुत से मंदिर मौजूद है और उन मंदिरों के अंदर भगवान शिव जी के रूप शिवलिंग की पूजा की जाती है, रोजाना इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, सभी भक्त विधि-विधान पूर्वक अपने सच्चे मन से भगवान शिव जी की पूजा करते हैं परंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां पर शिवलिंग की पूजा नहीं होती है बल्कि इस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के अंगूठे की पूजा की जाती है।

देशभर में भगवान शिव जी के बहुत से छोटे बड़े मंदिर मौजूद है, इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर माउंट आबू की पहाड़ियों पर स्थित है इस मंदिर को अचलगढ़, अचलेश्वर मंदिर के नाम से लोग जानते हैं, इस मंदिर की काफी मान्यता मानी गई है, इस मंदिर के अंदर महाशिवरात्रि, सोमवार के दिन और सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, ऐसा बताया जाता है कि इन दिनों में जो भक्त भगवान शिव जी के इस मंदिर में आता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव जी अवश्य पूरी करते हैं, माउंट आबू में अचलगढ़, अचलेश्वर दुनिया का इकलौता एक ऐसा मंदिर है जहां पर शिवलिंग की नहीं बल्कि भगवान शिव जी के अंगूठे की पूजा की जाती है, भगवान शिव जी के अंगूठे के निशान इस मंदिर में आज भी देखा जा सकता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि जब अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदी वर्धन हिलने लगा था तब हिमालय में तपस्या कर रहे भगवान शिव जी की तपस्या भंग हो गई थी क्योंकि इस पर्वत पर भगवान शिव जी की प्रिय कामधेनु और नंदी बैल भी था, तब इन दोनों को बचाने के लिए भगवान शिव जी ने हिमालय से ही अंगूठा फैला दिया था और अर्बुद पर्वत को स्थिर कर दिया था, अचलेश्वर मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के पैरों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं, इस मंदिर के अंदर भगवान शिवजी अंगूठे के रूप में विराजमान है, अगर सावन के महीने में इस रूप के दर्शन किए जाए तो इसका बहुत विशेष महत्व माना गया है।

भगवान शिव जी के इस मंदिर की सबसे रहस्यमई बात यह है कि इस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी के अंगूठे के नीचे एक प्राकृतिक गड्ढा बना हुआ है, इस गड्ढे के अंदर चाहे जितना पानी डाल दिया जाए परंतु यह गड्ढा कभी भरता नहीं है और इसमें जो पानी डाला जाता है वह कहां पर चला जाता है यह रहस्य अभी तक रहस्य ही बना हुआ है, इस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, इस मंदिर के अंदर भक्त अपने मन में बहुत सी इच्छाएं लेकर भोलेनाथ के दरबार आते हैं।

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