कहानी

कहानी: क्रोधित व्यक्ति अपने साथ-साथ और की भी एकाग्रता भंग कर देता है

एक दिन गौतम बुद्ध अपने आश्रम में एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे, तभी उनके सभी शिष्य उनके पास आकर बैठ गए। शिष्यों ने गौतम बुद्ध को मौन बैठा देख काफी देर तक कुछ नहीं बोला। ऐसा करते हुए 15 मिनट बीत गए और गौतम बुद्ध मौन अवस्था में ही बैठ रहे।

शिष्यों को लगा शायद आज गौतम बुद्ध की तबीयत ठीक नहीं है और इसी कारण से वो कुछ बोल नहीं रहे हैं और शांत होकर बैठे हैं। तभी एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से सवाल किया और उनसे कहा, क्या आपकी तबीयत खराब है? आप आज हमें क्यों कोई प्रवचन नहीं दे रहे हैं ? ये सवाल सुनने के बाद भी गौतम बुद्ध ने कुछ नहीं कहा। फिर एक अन्य शिष्य ने भी गौतम बुद्ध से सवाल करते हुए कहा, आज आप क्यों मौन होकर बैठें हैं ? क्या हमसे कोई भूल हो गई है, जिसकी वजह से आप हमसे बात नहीं कर रहे हैं ? गौतम बुद्ध इतने सारे सवाल सुनने के बाद भी शांत ही बैठे रहे।

इसी दौरान एक व्यक्ति गौतम बुद्ध के आश्रम में जबरदस्ती घुस आया और जोर से चिलाते हुए कहने लगा, मुझे इस आश्रम में आने की अनुमति क्यों नहीं है? क्यों मुझे हमेशा आश्रम के बाहर ही रोक दिया जाता है ? क्या में अछुत हूं इसलिए मेरे साथ ये बर्ताव किया जाता है ? इस व्यक्ति की बात सुनकर हर शिष्य हैरान हो गया और एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से कहा, इस व्यक्ति ने अपने दिल में कितनी बड़ी गलतफहमी पाल रखी है। आप कृपा करके इसे बताएं की इस आश्रम में जात-पात के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। इतनी देर तक शांत बैठे गौतम बुद्ध ने ये बात सुनते ही एकदम से कहा, ये व्यक्ति सही बोल रहा है। ये अछूत है इसी कारण से इसे आश्रम में नहीं आने दिया जाता है।

गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर हर शिष्य हैरान हो गया और शिष्यों ने गौतम बुद्ध से कहा, आप तो कहते हैं कि जात-पात के आधार पर कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए, तो फिर आप इसे अछूत क्यों कहे रहे हैं ? गौतम बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं, ये व्यक्ति इसलिए अछूत नहीं है क्योंकि ये छोटी जाति का है। ये व्यक्ति इसलिए अछूत है क्योंकि इसके अंदर काफी क्रोध भरा हुआ है। इसके क्रोध के कारण ही मैंने इसे आश्रम में ना आने को कहा है। जिस दिन ये व्यक्ति अपने क्रोध पर काबू पा लेगा उस दिन ये मेरा शिष्य बन जाएगा।

इस व्यक्ति के क्रोध की वजह से आज मेरी एकाग्रता भंग हुई है। उसी तरह से इसके क्रोध की वजह से कल तुम लोगों की भी एकाग्रता भंग हो जाएगी। क्रोधित व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है और इस आश्रम में हिंसा का कोई भी स्थान नहीं हैं। गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर इस व्यक्ति को समझ आ गया कि उसके क्रोध की वजह से ही गौतम बुद्ध उसे अपना शिष्य नहीं बना रहे हैं। इस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से अपने क्रोध के लिए माफी मांगी और कभी भी क्रोधित ना होने का संकल्प किया।

इस कहानी से मिली सीख

जो लोग क्रोध करते हैं, वो लोग अपने साथ-साथ अपने आसपास मौजूद लोगों की भी एकाग्रता भंग कर देते हैं। इसीलिए इंसान को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए और हमेशा अपना दिमाग शांत रखना चाहिए।

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