अध्यात्म

आखिर शेर कैसे बना मां दुर्गा की सवारी? जानिए इसकी रोचक कथा

ये पूरा संसार मां दुर्गा को शक्ति के रूप में मानता है सिर्फ साधारण मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी देवता भी मां दुर्गा की शक्ति की पूजा करते हैं, माता दुर्गा को दुष्टों का नाश करने वाला माना गया है, यह हमेशा दुष्ट-पापियों का नाश करती हैं, मां दुर्गा से जुड़ी हुई ऐसी बहुत सी कहानियां प्रचलित है जिनमें इन्होंने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है और पूरे संसार को पापियों से बचाया है, जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं माता दुर्गा की सवारी शेर है परंतु आप लोगों ने कभी इस बात पर विचार किया है कि आखिर मां दुर्गा की सवारी शेर कैसे बना? पौराणिक कथाओं के अनुसार देखे तो माता दुर्गा शेर की सवारी करती है परंतु यह सवारी माता दुर्गा को कैसे प्राप्त हुई थी? आखिर ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से शेर को मां दुर्गा की सवारी बनना पड़ा था? आज हम आपको इसके पीछे की एक बहुत ही रोचक कथा के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

आपको बता दें कि मां दुर्गा माता पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं, माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों सालों तक कठोर तपस्या की थी, ऐसी मान्यता है कि तप के तेज से माता का रंग सांवला हो गया था, तप के फल में भगवान शिव जी से माता पार्वती का विवाह हुआ था और इन दोनों के दो पुत्र हुए थे, जिनका नाम कार्तिकेय और भगवान गणेश जी हैं, जब माता पार्वती और भगवान शिव जी का विवाह हो गया तो उसके पश्चात भगवान शिव जी ने क्रीड़ा के समय माता पार्वती को काली कह दिया था, इस बात से माता पार्वती काफी नाराज हुई थी, भगवान शिव जी की कहीं गई इस बात से नाराज होकर माता पार्वती कैलाश छोड़ कर चली गई थी और उन्होंने किसी जंगल में तप साधना आरंभ कर दी थी, माता पार्वती ने सुंदर रंग प्राप्त करने के लिए तप किया था, तब वहां पर एक भूखा शेर पहुंच गया था, शेर ने माता पार्वती को अपना आहार बनाने की ठान ली थी, जब शेर ने देखा कि माता पार्वती तपस्या में लीन है तो वह उनके सामने ही बैठ गया था, शेर ने सोचा कि जब माता पार्वती तपस्या से उठेंगीं तब इनको अपना आहार बना लेगा।

माता पार्वती ने कई वर्षों तक अपनी तपस्या की थी और जब तक माता पार्वती तपस्या में लीन थी तब तक शेर उनके समक्ष ही बैठा रहा था, भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए थे और माता पार्वती को सुंदर रूप का वरदान दिया था, उसके पश्चात माता पार्वती की तपस्या पूरी हुई थी, जब माता पार्वती को भगवान शिव जी के वरदान के बारे में पता लगा तो उसके पश्चात उन्होंने गंगा में स्नान किया था, स्नान करने के पश्चात उनका रूप दूध की तरह सुंदर हो गया था, इसी वजह से माता पार्वती को महागौरी के नाम से भी लोग जानते हैं, जब वह स्नान करने के पश्चात आई तो उन्होंने देखा कि नदी के समीप ही एक शेर खड़ा है, उनको इस बात की जानकारी थी कि वह शेर उनको अपना भोजन बनाने आया हुआ है, परंतु जब माता पार्वती तपस्या में लीन थी तब शेर उनके समक्ष ही बैठा रहा था, माता पार्वती जी के साथ-साथ शेर ने भी तपस्या की थी, उसके पश्चात माता पार्वती जी ने शेर को आशीर्वाद दिया और उसको अपनी सवारी के रूप में स्वीकार किया था, इस प्रकार से मां दुर्गा की सवारी शेर बना था।

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