अध्यात्म

महादेव का प्राचीन मंदिर, जहां है 200 ग्राम भार का गेहूं का दाना, जानिए इससे जुड़ी बातें

हमारा भारत देश धार्मिक और चमत्कारों का देश माना गया है, अक्सर कोई ना कोई चमत्कार सुनने को मिल ही जाता है, ऐसे बहुत से मंदिर हैं जहां पर रोजाना होने वाले चमत्कारों के आगे लोग अपना सर झुकाते हैं, इन चमत्कारों के ऊपर विश्वास करना लगभग नामुमकिन सा लगता है परंतु इन चमत्कारों के रहस्य को आज तक वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं, देशभर में महादेव के बहुत से मंदिर मौजूद है परंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां पर 200 ग्राम वजन का गेहूं का दाना देखा गया है और यह महाभारत काल से ही यहां पर है।

अगर आप इसको देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हिमाचल प्रदेश में जाना होगा, दरअसल, हम जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह हिमाचल प्रदेश की करसोगा घाटी के ममेल गांव में स्थित है, जिसको ममलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है, वैसे हिमाचल प्रदेश की देवभूमि में बहुत से प्राचीन मंदिर मौजूद है, उन्हीं में से एक ममलेश्वर महादेव मंदिर है, जोकि महादेव और देवी पार्वती जी को समर्पित है।

इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का संबंध पांडवों से भी है, क्योंकि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी गांव में अपना समय व्यतीत किया था, इस मंदिर के अंदर एक धुना है जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह महाभारत काल से निरंतर जल रहा है, इसके पीछे भी एक कहानी बताई जाती है, जब पांडव अज्ञातवास में इधर-उधर घूम रहे थे तब उन्होंने कुछ समय के लिए इस गांव में रुकने का निश्चय किया था, तब इस गांव में एक राक्षस ने एक गुफा में डेरा जमाया हुआ था, यहां के स्थानीय लोगों ने तब राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए राक्षस के साथ एक समझौता किया था कि रोजाना वह एक आदमी को स्वयं उसके पास भेज देंगे, जिसको वह अपना भोजन बना सकता है ताकि वह एक साथ सभी गांव वालों को नष्ट ना करें।

जिस घर के अंदर पांडव रुके हुए थे उस घर के एक लड़के का नंबर आया, तब उस लड़के की मां बहुत ही रो रही थी, जब लड़के की मां को पांडवों ने रोते हुए देखा तो उसके रोने का कारण पूछा, तब उस लड़के की मां ने बताया कि आज मेरे बेटे को राक्षस के पास भेजा जाने वाला है, तब अपना धर्म निभाने के लिए पांडवों में से भीम उस लड़के की जगह गए, जब भीम राक्षस के पास पहुंचे तब उन दोनों के बीच काफी भयंकर युद्ध हुआ था, भीम ने राक्षस को मार गिराया और गांव वालों को राक्षस से मुक्ति दिलाई थी, ऐसा बताया जाता है कि भीम की इसी जीत की याद में यह अखंड धुना जल रहा है।

इस मंदिर के अंदर एक प्राचीन ढोल है जिसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि यह भीम का है, इसके अतिरिक्त मंदिर में 5 शिवलिंग भी स्थापित है, जिनकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी और इस मंदिर में सबसे प्रमुख चीज यह है कि यहां पर एक गेहूं का दाना है जिसको पांडव बताए जाते हैं, यह गेहूं का दाना पुजारी के पास रहता है अगर कोई व्यक्ति इस गेहूं के दाने के दर्शन करना चाहता है तो सबसे पहले पुजारी की आज्ञा लेनी पड़ती है, पुजारी के कहने के बाद ही व्यक्ति गेहूं के दाने के दर्शन कर सकता है, और इस गेहूं के दाने का वजन 200 ग्राम बताया जाता है।

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