अध्यात्म

शनिदेव प्रसन्न हो जाए तो व्यक्ति को बना देते हैं राजा, जानिए शनि से जुड़ी हुई बातें

मनुष्य के अच्छे बुरे कार्यों का लेखा-जोखा सभी शनिदेव तक पहुंचता है, जिसके आधार पर शनि देव न्याय करते हैं, लोग शनि दोषों से मुक्ति पाने के लिए इनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं, ऐसा बताया जाता है कि यदि शनिदेव की बुरी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाती है तो इसकी वजह से व्यक्ति के जीवन में बहुत से संकट उत्पन्न होने लगते हैं, व्यक्ति को अपने जीवन में किसी न किसी वजह से परेशानियों से गुजरना पड़ता है, परंतु यदि ये किसी व्यक्ति से प्रसन्न हो जाए तो व्यक्ति के जीवन की तमाम परेशानियां तुरंत दूर हो जाती है, ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति से शनिदेव प्रसन्न हो जाए तो उस व्यक्ति को राजा भी बना सकते हैं, पुराणों में शनि देव से जुड़ी हुई बहुत सी बातों का उल्लेख किया गया है, आज हम आपको शनिदेव से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिनके बारे में सभी लोगों को पता होना चाहिए।

शनिदेव से जुड़ी हुई जरूरी बातें

शनि की छाया अशुभ क्यों मानी जाती है

शनि की बुरी छाया से सभी लोग भयभीत रहते हैं परंतु क्या आप लोग जानते हैं कि शनि की छाया अशुभ क्यों है? दरअसल, शनि की बुरी दृष्टि के पीछे मुख्य वजह उनकी पत्नी द्वारा दिया गया श्राप है, एक बार पुत्र की लालसा में शनि देव की पत्नी उनके पास गईं परंतु उस समय के दौरान शनि देवता कठिन तपस्या कर रहे थे जिसकी वजह से इनकी पत्नी को बहुत गुस्सा आया और शनि देव को श्राप दिया कि जिसके ऊपर भी इनकी दृष्टि पड़ेगी उसका सब कुछ नष्ट हो जाएगा, इसी कारण से शनि की छाया अशुभ मानी गई है।

शनिदेव का रंग काला क्यों है

शनि देव का रंग काला है इसके पीछे की वजह यह बताई जाती है कि शनि के पिता सूर्य देव और माता छाया थी, सूर्य देव की माता छाया भगवान शिव जी की बहुत भक्ति किया करती थी, जब शनि देव माता के गर्भ मे थे तब इनकी चिंता किए बिना छाया भगवान शिव जी की तपस्या में हमेशा ही लीन रहती थी, जिसकी वजह से इन्होंने अपना और अपने बच्चे का ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से शनिदेव का रंग काला हुआ, माता छाया की कठोर तपस्या की वजह से ही शनिदेव का रंग काला हो गया।

शनि देव लंगड़े क्यों है

आप लोगों ने यह तो सुना ही होगा कि शनिदेव लंगड़े है, लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि आखिर इनको लंगड़ा किसने किया और किस वजह से यह लगड़े हुए थे, दरअसल, शनि देव की सबसे धीमी चाल मानी जाती है क्योंकि यह लंगड़े है, ऐसा बताया जाता है कि पिप्लाद मुनि की वजह से ही शनिदेव लंगड़े हुए थे, क्योंकि पिप्लाद मुनि अपने पिता की मृत्यु का कारण शनि देव को मानते थे, इन्होंने शनिदेव के ऊपर ब्रह्रादण्ड से प्रहार किया था, जिसका प्रहार शनिदेव सहन करने में सक्षम नहीं थे और यह तीनों लोकों में भागने लगे, ब्रह्रादण्ड के प्रहार से ही शनिदेव लंगड़े हुए।

बच्चों पर नहीं पड़ती है शनिदेव की बुरी छाया

जब पिप्लाद मुनि से शनिदेव का युद्ध हुआ था तब शनिदेव परास्त हो गए थे, तब पिप्लाद मुनि ने शनिदेव को इस शर्त पर छोड़ा था कि वह 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों के ऊपर अपनी बुरी दृष्टि नहीं डालेंगे और ना ही उनको किसी प्रकार का कष्ट पहुंचाएंगे।

शनि देव को दंडाधिकारी नियुक्त किसने किया

शनिदेव दंडाधिकारी माने गए हैं, इसके पीछे भी पुराणों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि शनि देवता और भगवान शिव जी के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया था, इस युद्ध के अंदर शनि देवता परास्त हो गए थे, इसके बाद में शिवजी से सूर्य देवता ने शनि देव को माफ करने की प्रार्थना की थी, तब शिवजी ने शनिदेव को क्षमा किया, शिवजी भी शनिदेव के रण कौशल से काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने अपना सेवक और दंडाधिकारी नियुक्त कर लिया था।

सभी ग्रहों में शनि ग्रह को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं सभी नौ ग्रहों में शनि देव को सबसे श्रेष्ठ ग्रह माना गया है, इसके पीछे का मुख्य कारण भगवान शिव जी का आशीर्वाद बताया जाता है, शनि देव को श्रेष्ठ होने का शिव जी ने आशीर्वाद दिया था।

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