अध्यात्म

शनिदेव का प्रसिद्ध मंदिर, जहां दर्शन करने से भक्तो को शनि दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या नहीं सताती

शनि देव सूर्यपुत्र है और इनके मंदिर देशभर के कई स्थानों पर बने हुए हैं, जहां पर अक्सर लोग जाकर अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने की प्रार्थना करते हैं, शनिदेव को सबसे क्रोधित देवता कहा जाता है, ऐसा कहा जाता है कि अगर इनकी बुरी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़े तो उस व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आने लगती है, और व्यक्ति अपने किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाता है, परंतु शनिदेव बिना किसी वजह के किसी व्यक्ति को परेशान नहीं करते हैं, शनिदेव को कर्म फल दाता कहा गया है, यह कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं, आज हम आपको शनि देव के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जो लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त शनि महाराज के इस मंदिर में आकर दर्शन करता है उसको शनि की दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या में शनि देव परेशान नहीं करते हैं।

आज हम आपको जिस शनि देव के प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह मंदिर मथुरा से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोसीकला स्थान पर शनिदेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थापित है, इसके आसपास नंदगांव, बरसाना और श्री बांके बिहारी मंदिर भी है, कोकिलावन धाम का यह सुंदर परिसर लगभग 20 एकड़ में फैला हुआ है, इस मंदिर के अंदर प्रत्येक शनिवार के दिन भक्त शनि भगवान की 3 किलोमीटर की परिक्रमा करते हैं, वैसे तो इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है, परंतु शनिचरी शनि अमावस्या को यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, शनि देव को भगवान श्री कृष्ण जी का भक्त माना जाता है, मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण जी के दर्शनों के लिए शनि महाराज ने कठोर तपस्या की थी, तब शनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण जी ने इनको वन के अंदर कोयल के रूप में दर्शन दिए थे, इसलिए इस स्थान को कोकिलावन के नाम से जाना जाता है।

शनि देव को भगवान कृष्ण जी ने यह आशीर्वाद दिया था कि वह यहीं पर विराजमान हो जाए और इस स्थान पर जो भी उनके दर्शन करेगा उनके ऊपर शनि की बुरी दृष्टि नहीं पड़ेगी और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी, कृष्ण जी ने भी शनि देव को यह वादा किया था कि वह भी उनके साथ रहेंगे, इसलिए इस मंदिर में आप शनिदेव की बाई तरफ कृष्ण और राधा जी विराजमान देख सकते हैं, भक्त इस मंदिर के अंदर अपनी परेशानियां लेकर आते हैं और शनिदेव की कृपा से उनके सभी कष्ट और परेशानी दूर होती है।

शनि देव के इस प्राचीन मंदिर से भक्तों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है, उनको यही उम्मीद रहती है कि इनके दर्शन से उनके जीवन के कष्ट दूर होंगे, ऐसा कहा जाता है कि शनि देव यहां पर आने वाले लोगों को कभी निराश नहीं होने देते हैं, सभी भक्तों की मनोकामनाएं शनिदेव पूरी करते हैं, उम्मीद के साथ शनिवार के दिन इस मंदिर में दूरदराज से हजारों लाखों की संख्या में भक्त अपनी फरियाद लेकर शनिदेव के दरबार में आते हैं और अपनी खाली झोली भर कर वापस अपने घर चले जाते हैं, इस मंदिर में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं, जो भक्त मथुरा आता है वह शनि देव के दर्शन जरूर करता है।

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