अध्यात्म

इस स्थान पर भगवान शिव ने आकर किया था विश्राम, सैकड़ों भक्त आकर करते हैं शिव महिमा का गुणगान

भगवान शिव जी को देवों का देव कहा जाता है, सनातन धर्म में भी भगवान शिव जी को संहार का देवता माना गया है, भगवान शिवजी स्वभाव के बहुत ही भोले हैं और यह अपने भक्तों की पुकार सबसे शीघ्र सुनते हैं, परंतु यह अपने रौद्र रूप के लिए भी जाने जाते हैं, भगवान शिव जी को अन्य देवताओं से सबसे अलग माना गया है, वैसे देखा जाए तो भगवान शिव जी से जुड़े हुए देशभर में बहुत से मंदिर मौजूद है और इन मंदिरों में हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान शिव जी की पूजा आराधना और इनके दर्शन करने के लिए आते हैं, परंतु आज हम आपको शिवजी के एक ऐसे धाम के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है और यहां पर हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भगवान शिव जी को कैलाशपति कहा जाता है, देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव जी के बहुत से मंदिर मौजूद है, इस स्थान को भगवान शिव जी की नगरी भी कहा जाता है, भगवान शिव जी का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जहां पर सैकड़ों भक्त आकर शिव की महिमा का गुणगान करते हैं, हम आपको जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं इस मंदिर को ताड़केश्वर भगवान का मंदिर कहा जाता है, भगवान शिव जी का यह मंदिर देवदार के लगभग 4 किलोमीटर की दूरी में जंगलों के बीचो-बीच बना हुआ है, यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बताया जाता है।

भगवान शिव जी के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में आकर भगवान शिव जी ने विश्राम किया था, समुद्र तल से लगभग 6000 फीट की ऊंचाई पर यह मंदिर बना हुआ है, जिसको भगवान शिव जी का आरामगाह बताया जाता है, स्कंद पुराण के केदारखंड में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है, इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि यही वह स्थान है जहां विश गंगा और मधु गंगा उत्तर वाहिनी नदियों का उद्गम स्थल है, अगर हम इस मंदिर की खासियत की बात करें तो इस मंदिर के परिसर में चिमटा नुमा और त्रिशूल की आकार वाले देवदार के पेड़ स्थित है, जो भक्तों की आस्था को और मजबूत कर देते हैं, ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव जी ने जब तड़कासुर राक्षस का वध किया था तब वह विश्राम के लिए इसी स्थान पर आए थे, जब भगवान शिव जी यहां पर विश्राम कर रहे थे तब उनके चेहरे पर सूर्य की तेज किरणें पड़ रही थी, तब माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी की चारों तरफ देवदार के सात पेड़ लगा दिए थे।

भगवान शिव जी के ताड़केश्वर धाम में हर वर्ष देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं, यहां की खूबसूरती को देखकर लोग काफी आकर्षित होते हैं, यहां की सुंदरता बेमिसाल है जिसको देखकर लोग इसी में खो जाते हैं, वैसे तो इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, परंतु श्रावण मास पर यहां श्रद्धालुओं की कुछ अधिक ही भीड़ देखने को मिलती है, अगर आप यहां पर जाना चाहते हैं तो इसके लिए कोटद्वार पौड़ी से चखुलियाखाल तक जीप-टैक्सी की सुविधा है, यहां से लगभग 5 किलोमीटर की पैदल दूरी पर ताड़केश्वर धाम स्थित है।

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