अध्यात्म

भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी विश्वनाथ के अलग है किस्से, जानिए यहां से जुड़ी कुछ बातें

भारत हिंदू प्रधान देश है और यहां पर सबसे ज्यादा देवी और देवताओं को पूजा जाता है. सबसे ज्यादा भक्त देवों के देव महादेव के हैं और पूरे भारत में महादेव यानी शिव जी की के विख्यात मंदिर बने हैं जिनमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ, सोमनाथ और काशी जैसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. मगर यहां हम बात बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ की बात करेंगे जहां पर कहा जाता है कि महादेव शिव खुद वास करते हैं. भोलेनाथ बाबा के दर्शन के लिए काशी में देश विदेश से लोग आते हैं लेकिन क्या आप यहां के बारे में कुछ जरूरी बाते जानते हैं ?
भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी विश्वनाथ के अलग है किस्से, सच्चे शिवभक्त को जरूर जाननी चाहिए ये बातें.

भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी विश्वनाथ के अलग है किस्से

गंगा किनारे बसे काशी को भगवान शिव की नगरी और भोलेनाथ को काशी का महाराजा कहा जाता है. यहां का काशी विश्वनाथ मंदिर पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहीं से सांसद हैं और वे जब यहां आते हैं तो काशी विश्वनाथ के दर्शन और पूजा जरूर करते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए हर दिन लाखों भक्त आते हैं, लेकिन सोमवार का दिन बहुत विशेष माना जाता है. यहां की गंगा आरती बहुत प्रसिद्ध है. तो चलिए बताते हैं बाबा विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ अहम किस्से.

1. बाबा विश्वनाथ के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध यह शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ऐसा कहा जाता है  कि गंगा किनारे बने इस मंदिर की स्थापना साल 1490 में हुई थी.

2. ऐसी पौराणिक मान्यता भी है कि भगवान शिव गंगा के किनारे इस नगरी में निवास करते हैं. उनके त्रिशूल की नोक पर ही काशी बसी है. भगवान शिव काशी के पालक और संरक्षक है, जो भी यहां आता है उनकी रक्षा भोलेनाथ ही करते हैं.

 

3. काशी विश्वनाथ मंदिर के ऊपर एक सोने का छत्र लगाया गया है. ऐसा मान्यता है कि इस छत्र के दर्शन से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

4. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के बारे में एक और बात प्रसिद्ध है वो ये कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी.

5. काशी नगरी को मोक्ष की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के दरबार में जाने से ही भक्त को जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिल जाती है.

6. सावन के महीने में बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दुनिया भर से लोग आते हैं. उस दौरान अभिषेक से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, हालांकि सोमवार के दिन भी यहां भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

7. इस मंदिर को आक्रमणकारियों ने कई बार निशाना बनाया था. मुगल सम्राट अकबर ने प्राचीन मंदिर को दोबारा बनवाने का आदेश दिया था, जिसे बाद में औरंगजेब ने तुड़वा डाला था. वहां पर उसने मस्जिद का निर्माण कराया, जो ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध है.

 

8. ऐसा बताया जाता है कि लोगों को जब पता चला कि औरंगजेब इस मंदिर को तोड़ना चाहता है तब भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को एक कुएं में छिपा दिया गया था. वह कुआं आज भी मंदिर और मस्जिद के बीच में स्थित है.

9. उसके बाद इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ के इस प्राचीन मंदिर का पुनर्रुद्धार करवाया था. मृत्यु, समय और काल से परे भगवान शिव फिर से यहां पूजे जाने लगे थे. एक बार फिर देवों के देव महादेव के दर्शनों के लिए भक्त उमड़ने लगे थे.

10. भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां पर आना एक सौभाग्य की बात होती है. ऐसी मान्यता भी प्रसिद्ध है कि यहां पर आने वाले पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.

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