अध्यात्म

इस शिव मंदिर की वायुदेव ने की थी स्थापना, यहां मथानी छूने से भक्तों की मुराद हो जाती है पूरी

देश भर में ऐसे बहुत से चमत्कारिक मंदिर है जिनके पीछे कोई ना कोई प्राचीन कथा और रहस्य बताया जाता है। आप लोगों ने ऐसे बहुत से मंदिरों के बारे में सुना या पढ़ा होगा, जहां पर अक्सर कोई ना कोई चमत्कार देखने को मिलते रहते हैं। देश भर में ऐसे बहुत से मंदिर है जिसका निर्माण राजाओं ने करवाया था, परंतु कुछ मंदिर ऐसे भी है जो स्वयं प्रकट हुए थे। जी हां, ऐसे बहुत से मंदिर है जो खुदाई के समय मिले थे और इन्हीं के आधार पर मंदिर का निर्माण करवा दिया गया है। आज हम आपको भगवान शिव जी के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसका निर्माण स्वयं वायु देव ने किया था। इस मंदिर के अंदर एक अद्भुत मथानी है और इसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त इसको छू कर अपनी मनोकामना मांगता है, उसकी मुराद पूरी हो जाती है।

हम आपको भगवान शिव जी के जिस प्राचीन मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं, यह मंदिर उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य में स्थापित है। इस मंदिर को देवदेवेश्वर धाम कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर जो शिवलिंग रखा हुआ है वह द्वापर युग का है। इस मंदिर में माता सीता ने मथानी भी रखी है, जिसके बारे में बताया जाता है कि भक्त इसको छू कर अपनी मनोकामना मांगता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण वायु देव ने किया था। देवदेवेश्वर धाम का उल्लेख वायु पुराण के अलावा भी अनेक धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। वनवास के दौरान भगवान श्री राम जी और माता सीता ने इस मंदिर के अंदर पूजा की थी। देवदेवेश्वर मंदिर के अंदर सबसे पहले भक्त महादेव का जलाभिषेक करते हैं। उसके पश्चात अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए सीता माता द्वारा रखी गई मथानी को स्पर्श करतें हैं।

देवदेवेश्वर धाम के बारे में ऐसा बताया जाता है कि बाबर ने शिवलिंग पर अपनी तलवार से हमला किया था। उसने शिवलिंग पर कई बार हमला किया, परंतु इस शिवलिंग को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा था। अचानक से ही शिवलिंग से मधुमक्खियां और बर्रे निकलने लगे थे। जिसकी वजह से सेना को वहां से भागना पड़ गया था।

भगवान शिव जी के इस प्राचीन धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हमेशा ही लगी रहती है। विशेष रूप से सावन के महीने में भारी संख्या में भक्त यहां पर भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। सावन के पवित्र महीने में भक्त दूर-दूर से आकर मंदिर परिसर में रुद्राभिषेक, जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर के अंदर महामृत्युंजय मंत्र पाठ, शिव पुराण और राम चरित्र मानस पाठ का आयोजन भी करवाया जाता है।

आपको बता दें कि खुदाई के दौरान जब शिवलिंग का अंत नहीं मिला था तब नैमिषारण्य वासियों ने इस स्थान पर एक चबूतरा बनाकर शिवलिंग की पूजा करने लगे थे। यह तीर्थ स्थल देश के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। भक्त अपने जीवन की दुख-परेशानियां लेकर भगवान शिव जी के इस धाम में आते हैं और अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति पाते हैं।

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