अध्यात्म

9 जुलाई एकादशी को बन रहा है अद्भुत योग, इस उपाय से मिलेगी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार एकादशी का दिन बहुत ही पवित्र होता है। एकादशी के दिन पूजा-पाठ करने की सदियों से परम्परा है। इस दिन पूजा-पाठ करके देवी-देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है। एकादशी के दिन व्रत करने की भी परम्परा है। इस बार 9 जुलाई को सोमवार और आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी पड़ रही है। इसे योगिनी एकादशी भी कहते हैं। सोमवार और एकादशी के इस अद्भुत योग से व्यक्ति की सबी इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी।

आपको बता दें इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी दोनो की कृपा बनी रहती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें जो भी व्यक्ति धनवान बनना चाहते हैं और जीवन की परेशानियों से हमेशा के लिए मुक्त होना चाहते हैं, उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में धन-दौलत की कोई कमी नहीं रह जाती है।

बनते हैं धनलाभ के प्रबल योग:

उज्जैन के महान ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा ने सोमवार और एकादशी साथ-साथ पड़ने से बन रहे इस ख़ास योग के बारे में कहते हैं कि कुछ ख़ास ज्योतिषिय उपाय करने से धनलाभ के प्रबल योग बनते हैं। अगर आप जीवन में धनवान बनना चाहते हैं तो आपको ज़रूर ये ज्योतिषिय उपाय करना चाहिए।

करें ये ज्योतिषिय उपाय:

*- सबसे पहले शंख में गंगाजल भरकर इससे विष्णु जी का अभिषेक करें।

*- इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फल का भोग लगाएँ।

*- इसके बाद तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक जलाएँ।

*- गाय के दूध में केसर मिलाकर विष्णु जी का अभिषेक करें।

*- एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए।

*- भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।

*- भगवान विष्णु को हरऋंगार का इत्र अर्पित करें।

एक बार इस व्रत का महत्व समझाने के लिए श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को एक कथा सुनाते हैं। धर्मराज को कथा सुनाते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं बहुत समय पहले कुबेर नाम का एक राजा रहता था जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। राजा के माली का नाम हेम था जो राजा को भगवान शिव की पूजा करने के लिए फूल लाता था। एक दिन किसी वजह से वह पूजा करने के लिए फूल नहीं ले जा पाया।

माली की इस हरकत से राजा कुबेर ग़ुस्सा हो गए और उसे तुरंत दरबार में बुलवाया। जब वो दरबार में आया तो राजा ने उसे श्राप दिया कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा। इस श्राप की वजह से हेम माली बहुत दुःख भोग रहा था। एक दिन वह भटकते-भटकते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम पहुँच गया। हेम माली ने मार्कण्डेय ऋषि को अपनी परेशानी के बारे में बताने लगा। उसकी हालत देखकर मार्कण्डेय ऋषि ने उसे इस व्रत के बारे में बताया। हेम माली ने ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी व्रत को किया। इस व्रत को करने के बाद हेम माली के दुखों का नाश हो गया।

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