अध्यात्म

ब्रह्मचारी हनुमान जी की यह प्रतिमा है 10 हज़ार साल पुरानी, मंदिर में होती है नारी रूप में पूजा

हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। सभी देवी-देवताओं का अपना-अपना महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें हिंदू धर्म के सभी देवता अलग-अलग जीवन दर्शन के बारे में बताते हैं। कलयुग के समय में आज लोगों के मन में तरह-तरह के बुरे विचार आते हैं। ऐसे में एक भगवान का ही सहारा होता है जो हमें इन बुरे विचारों से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं। आज के समय में सबसे जल्दी पुकार सुनने वाला देवता हनुमान जी को माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि हनुमान जी किसी भी भक्त की पुकार सबसे जल्दी सुनते हैं।

पूरा जीवन बिता दिया श्रीराम की सेवा में:

वैसे तो पूरी दुनिया में हनुमान जी के कई मंदिर हैं। लेकिन भारत के इस जगह पर हनुमान जी की एक ऐसा भी मंदिर है जो सभी मंदिरों से बिलकुल अलग है। यह मंदिर अपनी एक अलग ख़ासियत की वजह से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में जानने से पहले आपको बता दें कि हनुमान जी को बालब्रह्मचारी देवता के रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी महिलाओं की बहुत इज़्ज़त करते थे, इसलिए उन्होंने महिलाओं से दूरी बनाए रखी। इन्होंने अपना जीवन श्रीराम की सेवा करते हुए बिता दिया।

हनुमान जी की यह प्रतिमा है 10 हज़ार साल पुरानी:

आज हम आपको हनुमान जी के जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, वहाँ हनुमान जी की पूजा पुरुष रूप में नहीं बल्कि एक स्त्री के रूप में की जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि बालब्रह्मचारी हनुमान जी की पूजा आख़िर स्त्री के रूप में क्यों की जाती होगी? हनुमान जी का यह ख़ास मंदिर छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित है। यह पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ हनुमान जी की पूजा स्त्री के रूप में की जाती है। मान्यता है कि हनुमान जी कि यह प्रतिमा लगभग 10 हज़ार साल पुरानी है। जो भी भक्त हनुमान जी की इस प्रतिमा का श्रद्धा भाव से दर्शन करता है, उन्हें असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है और उसकी सभी मनोकामनाएँ भी पूरी हो जाती है।

मूर्ति स्थापना से जुड़ी मान्यता:

इस मंदिर में हनुमान जी की नारी के रूप में पूजा किए जानें के पीछे एक बहुत ही प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार प्राचीनकाल में रतनपुर में पृथ्वी देवजू नाम के एक राजा रहते थे जो हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। एक बार राजा को कुष्ट रोग हो गया। रोग की वजह से राजा बहुत निराश हो चुके थे। एक रात को हनुमान जी राजा के सपने में आए और मंदिर निर्माण की बात कही। मंदिर बन गया, लेकिन एक रात फ़ॉर हनुमान जी राजा के सपने में आए और प्रतिमा को रतनपुर में स्थित महामाया कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा। हनुमान जी की यह प्रतिमा नारी रूप में थी।

राजा ने हनुमान जी के आदेश से ही इस प्रतिमा का निर्माण करवाया था। तभी से हनुमान जी की पूजा यहाँ स्त्री के रूप में की जा रही है। मंदिर बनवाने के लंच दिन बाद ही राजा कुष्ट रोग से मुक्त हो गए। राजा की दूसरी इच्छा को पूरी करने के लिए हनुमान जी सदियों से लोगों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते आ रहे हैं। हनुमान जी की यह प्रतिमा दक्षिणमुखी है। हनुमान जी के बाएँ कंधे पर श्रीराम और दाएँ कंधे पर लक्ष्मण विराजमान हैं। हनुमान जी के पैरों के नीचे दो राक्षस भी दबे हुए हैं।

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