अध्यात्म

आखिर भगवान हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा? जानिए इसके पीछे की रोचक कथा

कलयुग में महाबली हनुमान जी को अजर-अमर देवता माना गया है, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं संकट मोचन हनुमान जी शक्ति के स्वामी है और यह श्री राम जी के सबसे बड़े भक्त हैं, हनुमान जी को इस धरती पर अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ है, यह धरती पर ही रहेंगे, हनुमान जी ने समय आने पर अपनी शक्तियों का प्रदर्शन बखूबी तरीके से किया है, परंतु अगर हम इनके बचपन की बात करें तो यह बचपन से ही अनुपम लीलाएं करते थे, मान्यता अनुसार महाबली हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी कृपा हर व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है, जिसके लिए इनकी पूजा-अर्चना करता है, जिस व्यक्ति के ऊपर इनका आशीर्वाद रहता है उस व्यक्ति के सभी संकट दूर होते हैं।

महाबली हनुमान जी की पूजा तो सभी लोग करते हैं और इनको प्रसन्न करने के तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं, परंतु क्या आप लोग जानते हैं कि भगवान हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा था? आखिर क्यों इनको हनुमान के नाम से भक्त पुकारते हैं, आज हम आपको हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा इसके बारे में एक रोचक कहानी बताने वाले हैं।

भगवान हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा

महाबली हनुमान जी देवों के देव महादेव के अवतार माने गए हैं, यह महादेव के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक है, हनुमान जी को अंजनी पुत्र और केसरी नंदन भी कहा जाता है, आपको बता दें कि माता अंजना भगवान शिव जी की परम भक्त थी, यह भगवान शिव जी की भक्ति में हमेशा लीन रहती थी, इन्होंने अपनी भक्ति से महादेव को प्रसन्न किया और भगवान शिव जी ने खुश होकर इनको वरदान दिया था कि यह उनकी कोख में जन्म लेंगे, भोलेनाथ के वरदान से हनुमान जी का जन्म हुआ था, उस समय के दौरान हनुमान जी को केसरी नंदन के नाम से पुकारते थे लेकिन इनका नाम हनुमान कैसे पड़ा था इसके पीछे एक रोचक कथा बताई जाती है।

एक बार माता अंजना कुछ कार्य करने में लगी हुई थी, तब हनुमानजी को अत्यधिक भूख लगी थी तो महाबली हनुमान जी अपनी माता अंजनी से खाना खाने के लिए जिद करने लगे थे, महाबली हनुमान जी अत्यधिक खाना खाते थे, जब कभी भी माता अंजनी किसी काम में व्यस्त रहती थी तब हनुमान जी को वह कह दिया करती थी कि तुम जाकर बगीचे से फल खा लो, तब हनुमान जी ऐसा ही करते थे, माता की अनुमति से वह बगीचे में जाकर फल खा लिया करते थे।

महाबली हनुमान जी एक बार बगीचे में घूम कर फल की तलाश कर रहे थे, माता के अनुसार बताए गए फल की तरह उनको आसमान में एक फल नजर आया, तब उन्होंने उस फल को खा लिया, वह फल सूर्य देवता थे, जब इन्होंने इनको खा लिया तब पूरे संसार में अंधेरा छा गया, सभी देवता काफी परेशान हो गए, उन्होंने हनुमान जी से निवेदन किया कि वह सूर्य देवता को छोड़ दे, परंतु अपने बाल हट की वजह से हनुमानजी नहीं माने थे, तब इंद्र देवता को अत्यधिक गुस्सा आया और उन्होंने अपने बज्र से उनके ऊपर प्रहार कर दिया, बज्र के प्रहार से हनुमान जी मूर्छित होकर धरती पर गिर गए थे, जब इंद्र देवता ने बज्र से वार किया था तब हनुमान जी का जबड़ा टूट गया था, हनु का अर्थ होता है जबड़ा और मान का अर्थ विरुपति होता है, इस प्रकार से अंजनी पुत्र को हनुमान के नाम से जाने जाना लगा।

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