अध्यात्म

महिलाओं को इंद्र देवता ने दिया था श्राप, जिसका आज भी भुगत रही है परिणाम

अगर हम धार्मिक मान्यताओं पर नजर डाले तो इसमें महिलाओं से जुड़ी हुई बहुत सी चीजों के बारे में जानकारी मिलती है, इनमें महिलाओं से जुड़ी हुई बहुत सी बातों का जिक्र किया गया है, इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मासिक धर्म को महिलाओं की सबसे ज्यादा कमजोरी मानी गई है, कभी-कभी महिलाओं के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर महिलाओं को ही मासिक धर्म की पीड़ा से क्यों गुजरना पड़ता है? आखिर इसके पीछे वजह क्या है? महिलाओं को ही मासिक धर्म क्यों होता है? इसी प्रकार के बहुत से सवाल सवाल महिलाओं के मन में रहते हैं परंतु धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसके पीछे सबसे मुख्य वजह इंद्र देवता का श्राप माना गया है, इंद्र देवता ने महिलाओं को आखिर यह शराब क्यों दिया था? आज हम आपको इसी विषय में जानकारी देने वाले हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब देवताओं के गुरु इंद्रदेव को गुस्सा आया था तब इसका फायदा उठाकर राक्षसों ने स्वर्ग पर हमला बोल दिया था जिसकी वजह से देवताओं के गुरु इंद्रदेव को अपने आसन को छोड़कर भागना पड़ा था, तब ब्रह्माजी ने इस समस्या का समाधान करते हुए उनको यह बात बताई थी कि उनको किसी ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए यदि ऐसा वह करते हैं तो इससे उनका आसन उनको पुनः वापस मिलना संभव है, ब्रह्माजी की इस बात को मानकर इंद्र देवता ने ब्रह्मज्ञानी की सेवा की थी इंद्र देवता ने जिस ब्रह्मज्ञानी की सेवा की थी उसकी माता एक असुर थी परंतु इस बात की जानकारी इंद्र देवता को बिल्कुल भी नहीं थी इसी कारण से ब्रह्मज्ञानी के मन में असुरों के लिए एक अलग स्थान था जिसकी वजह से इंद्रदेव के द्वारा दी गई सारी हवन सामग्री उन्होंने देवताओं के स्थान पर असुरों को अर्पित कर दी थी जब इस बात की जानकारी इंद्र देवता को लगी तब उनको बहुत अधिक क्रोध आया और क्रोध में आकर उन्होंने ब्रह्मज्ञानी का वध कर दिया था।

जब इंद्र देवता ने उस ब्रह्मज्ञानी का वध किया तो उनके ऊपर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ गया था जो एक राक्षस के रूप में उनके पीछे पड़ गया था इंद्र देवता इससे बचने के लिए एक पुष्प में छुप गए थे और एक लाख वर्ष तक उन्होंने भगवान विष्णु जी की तपस्या की थी तब भगवान विष्णु जी ने इंद्र देवता को इस पाप से छुटकारा पाने का उपाय बताया था भगवान विष्णु जी ने इंद्र देवता को कहा था कि इस पाप के कुछ अंश पेड़, पृथ्वी, जल और स्त्री को देना होगा, भगवान विष्णु जी द्वारा बताए गए इस उपाय को लेकर इंद्र देवता ने इन चारों को इस बात के लिए मनवा लिया था, तब इंद्र देवता ने इस पाप से छुटकारा पाने के लिए एक चौथाई हिस्सा पेड़ को दिया और साथ ही उसको यह वरदान दिया था कि वह अपने आपको कभी भी जीवित कर सकता है और इस पाप का एक चौथाई हिस्सा पानी को देते हुए यह वरदान दिया था कि वह किसी भी चीज को स्वच्छ कर सकता है और पृथ्वी को पाप का हिस्सा देते हुए यह वरदान दिया था कि सभी तरह की चोट अपने आप भर जायेंगीं।

आखरी में इंद्र देवता ने स्त्री को पाप का बाकी हिस्सा देते हुए यह वरदान दिया था कि वह पुरुषों की अपेक्षा शारीरिक संबंध का दोगुना आनंद ले सकती है इसके अलावा उन्होंने यह भी स्त्रियों को कहा था कि उनको हर महीने मासिक धर्म की पीड़ा को सहन करना होगा इसी वजह से इंद्र के द्वारा दिए गए इस वरदान की वजह से सभी महिलाएं अभी तक यह परिणाम भुगत रही है।

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