अध्यात्म

इंसान के ख़त्म हो जाने के बाद उसके शव को क्यों जल्दी-से जला देना चाहते हैं लोग, वजह हैरान कर देगी

जीवन और मृत्यु दोनों का चोली-दामन का साथ है जो भी इस धरती पर जीवित चीज़ है उसकी मृत्यु होना निश्चित है। इसी प्रकार जब कभी किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो लोग हमेशा ही उसके अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार रहते हैं और इस कार्य को जल्दी से जल्दी निपटाना भी चाहते हैं आपने इस चीज के बारे में बहुत बार देखा भी होगा कि व्यक्ति के मृत शरीर को जलाने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं की जाती है कोई भी आवश्यक काम हो सभी छोड़ दिए जाते हैं किंतु आपको हम आज अपने लेख के माध्यम से यह बताने जा रहे हैं आखिर ऐसा क्यों किया जाता है मृत शरीर को जल्दी से जल्दी जलाना आखिर इसके पीछे क्या रहस्य जुड़ा हुआ है चलिए पढ़ते हैं।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गरुड़ पुराण में यह बात लिखित है कि यदि किसी भी गांव या मोहल्ले में व्यक्ति की मृत्यु होती है या उसकी लाश पड़ी होती है तो घरों में उस समय पूजा नहीं होती जब तक लाश वहां पर पड़ी हुई है एवं किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं होता ना ही घर में चूल्हा जलता है एवं जब तक शव वहां पर पड़ा हुआ है तब तक कोई स्नान भी नहीं कर सकता इसीलिए लोग जल्दी से जल्दी मृत शरीर का अंतिम संस्कार करने मैं जल्दबाजी रखते हैं एवं मृत शरीर का देखरेख करते हैं क्योंकि यदि कोई जानवर उसे छू ले तो उसकी दुर्गति हो जाएगी।

मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करना दोनों के लिए फायदेमंद होता है, मृत व्यक्ति के लिए भी और उसके परिवार वालों के लिए। अंतिम संस्कार सही तरीके से किया जाता है तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति प्राप्त होती है एवं पिंडदान करने से देवताओं के साथ खुश हो जाते हैं। जब किसी व्यक्ति को जलाया जाता है तो उसके हाथ पैर बांध दिए जाते हैं क्योंकि कोई भी पिशाच शरीर पर कब्जा ना कर पाए। अंतिम संस्कार के समय चंदन एवं तुलसी की लकड़ियों का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह लकड़ियां शुभ मानी जाती हैं और किसी भी जीवात्मा की दुर्गति होने से उन्हें बचाती है।

हिंदू धर्म में इंसान की मृत्यु से लेकर 16 संस्कार बताए गए हैं यह सभी संस्कार आखिरी तक चलते हैं सोलह संस्कार में मृत व्यक्ति की आखिरी विदाई बताई जाती है इसमें घर की पुनः अशुद्धि से लेकर सारे क्रियाकलाप शामिल किए जाते हैं एवं गरुड़ पुराण के अनुसार बताया गया है कि सभी नियमों का पालन करने के बाद व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और उस व्यक्ति का अगला जन्म होता है।

सूर्यास्त के बाद कभी भी सबको नहीं जलाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि यदि सूर्यास्त के बाद किसी शरीर को जलाया जाता है तो उसकी आत्मा परलोक में तकलीफ में रहती है एवं उसके अगले जन्म में शरीर के किसी अंग में शारीरिक दोष उत्पन्न हो सकता है। अंतिम संस्कार को गरुड़ पुराण के अनुसार ही किया जाना चाहिए क्योंकि गरुड़ पुराण में हर वह छोटी से छोटी बातें विख्यात हैं जो किसी के अंतिम संस्कार के समय अपनानी चाहिए कि उसका शरीर जलाते समय किस दिशा में होना चाहिए, कब रोना है, कब अस्थि संचय करना है, कोण अग्नि देगा हर प्रकार के क्रियाकलापों को एवं नियमों को बताया गया है।

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