अध्यात्म

भगवान शिव के इस चमत्कारिक मंदिर का दर्शन है बेहद खास, शिवगणों से है इसका संबंध

सनातन धर्म में भगवान शिव जी को संहार का देवता माना जाता है। भगवान शिव जी स्वभाव से बहुत ही भोले हैं और यह अपने भक्तों से बहुत शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। शिव भक्तों के अंदर शिव के प्रति आस्था कूट-कूट कर भरी रहती है, जिसके चलते देश के हजारों मंदिरों के अंदर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। वैसे देखा जाए तो देश के कोने-कोने में भगवान शिव जी के अनेकों चमत्कारिक मंदिर स्थित है। जहां पर दूर-दराज से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। आप लोगों ने भी भगवान शिव जी के बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिरों के बारे में सुना होगा, परंतु आज हम आपको भगवान शिव जी के एक ऐसे चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में ऐसा बताया जाता है कि यहां पर दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। जो भक्त अपने सच्चे मन से भोलेनाथ के दर्शन करता है उनके ऊपर इनकी कृपा सदैव बनी रहती है।

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पास स्थित है गढ़मुक्तेश्वर मंदिर

हम आपको भगवान शिव जी के जिस चमत्कारिक मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं इस मंदिर का नाम “गढ़मुक्तेश्वर मंदिर” है। जो उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पास स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर को गढ़वाल राजाओं ने बसाया था। गंगा नदी के किनारे बसा हुआ यह शहर गढ़वाल राजाओं की राजधानी था, बाद में पृथ्वीराज चौहान का अधिकार हो गया था। आपको बता दें कि मेरठ से 42 किलोमीटर की दूरी पर गढ़मुक्तेश्वर मंदिर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर यह बसा हुआ है। इस मंदिर में वैसे तो भक्तों का आना-जाना लगा रहता है परंतु सावन महीने में शिव भक्तों की भारी भीड़ यहां पर देखने को मिलती है।

शिवगणों से जुड़ी है यह कहानी

गढ़ मुक्तेश्वर मंदिर के बारे में एक कथा बताई जाती है। शिव पुराण के अनुसार इस स्थान पर अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, जिसकी वजह से इस तीर्थ स्थल का नाम गढ़मुक्तेश्वर पड़ा है। भागवत पुराण और महाभारत के अनुसार देखा जाए तो त्रेता युग में यह कुरु राजधानी हस्तिनापुर का भाग था।

पुराणों के अनुसार मुक्तेश्वर शिव का प्राचीन शिवलिंग और मंदिर कारखंडेश्वर यहीं पर स्थित है। काशी, प्रयाग, अयोध्या आदि तीर्थ स्थलों की तरह ही गढ़मुक्तेश्वर पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।

कांवड़ यात्रा से जुड़ी है यहां की तार

भगवान शिव जी का यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। दूर दराज से भक्त यहां पर अपने जीवन की परेशानियां लेकर आते हैं और शिव जी के आशीर्वाद से सभी कष्टों से मुक्ति पाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा से भी इस स्थान का गहरा संबंध है। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर पुरामहादेव मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक किया था। उसी समय से कांवड़ की परंपरा आरंभ हो गई थी। शिव जी के इस मंदिर के दर्शन से भक्तों को आत्म शांति की प्राप्ति होती है।

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