अध्यात्म

7000 साल पुराना महालक्ष्मी जी का चमत्कारिक मंदिर जहां चरणों में उतरती है सूर्य की धूप

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि माता लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है अगर महालक्ष्मी जी की किसी व्यक्ति के ऊपर कृपा बनी रहे तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और ना ही व्यक्ति को अपने जीवन में धन की कमी होती है जो व्यक्ति इनकी पूजा-अर्चना करता है उनको मां लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है वैसे देखा जाए तो महालक्ष्मी जी का आशीर्वाद पाने के लिए दीपावली का दिन सबसे उत्तम माना गया है इसलिए दीपावली के दिन ज्यादातर लोग महालक्ष्मी जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं आज हम आपको इस लेख के माध्यम से धन की देवी माता लक्ष्मी जी का एक ऐसा मंदिर बताने वाले हैं जिसके बारे में जानकर आपको बड़ा आश्चर्य होगा क्योंकि महालक्ष्मी जी के इस मंदिर में सूर्य देवता स्वयं माता लक्ष्मी जी के चरणों में अभिषेक करते हैं जी हां, आप बिल्कुल सही सुन रहे हैं इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी जी के चरणो में सूरज की किरणें उतरती है इस चमत्कार को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग भारी संख्या में आते हैं और माता के इस चमत्कार के आगे सर झुकाते हैं।

दरअसल, हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं यह महालक्ष्मी जी का मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह मंदिर दुनिया भर में अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है ऐसा बताया जाता है कि महालक्ष्मी जी का यह मंदिर 1800 साल पुराना है और इस मंदिर में मौजूद माता लक्ष्मी जी की मूर्ति लगभग 7000 साल पुरानी है खबरों के अनुसार महालक्ष्मी जी के मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चालुक्य वंश के राजा कर्ण देव ने करवाया था इस मंदिर में महालक्ष्मी जी की मूर्ति के अलावा नवग्रहों सहित भगवान सूर्य, महिषासुर मर्दिनी, विट्ठल रखुमाई, शिव जी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि अनेक देवी-देवताओं की पूजा होती है इस मंदिर में मौजूद देवी देवताओं की प्रतिमाओं में कुछ तो 11 वीं शताब्दी की भी बताई गई है इसके अतिरिक्त मंदिर के आंगन में मणिकर्णिका कुंड पर विशेश्वर महादेव मंदिर भी मौजूद है।

इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी जी की जो प्रतिमा स्थित है इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 30 फीट है और यह काले पत्थर से बनाई गई है माता लक्ष्मी जी की यह प्रतिमा अत्यंत भव्य और प्रभावशाली है जिसको जो भी व्यक्ति देखता है वह भाव विभोर में खो जाता है इस मंदिर में महालक्ष्मी पश्चिम दिशा की ओर मुख करे हुए स्थापित है माता लक्ष्मी जी के सामने कि पश्चिम दीवार पर एक छोटी सी खुली हुई खिड़की है जिससे होकर सूरज की किरणें देवी लक्ष्मी जी का चरण अभिषेक करने मध्य भाग पर आती है और आखिरी में उनके मुख्य मंडल को रोशन करती है।

इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी जी की 4 हाथों वाली प्रतिमा है और यह अपने सिर पर मुकुट पहने हुए स्थापित है माता लक्ष्मी जी की यह प्रतिमा बहुमूल्य आभूषणों से सुसज्जित है माता लक्ष्मी जी का मुकुट भी लगभग 40 किलोग्राम का है जो बहुत ही कीमती रत्नों से जड़ा हुआ है माता लक्ष्मी की मूर्ति के पीछे पत्थर से बनी उनके वाहन शेर की प्रतिमा भी स्थापित है वहीं देवी के मुकुट मे भगवान विष्णु के प्रिय सर्प शेषनाग का चित्र बना है माता लक्ष्मी जी अपने चारों हाथों में अमूल्य प्रतीक चिन्ह थामे हुए हैं।

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