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कैंसर से जूझ रहे करोड़पति डॉक्टर ने बताया जीवन का सच, कहा-पैसा अच्छा है मगर अंत मे काम नहीं आता

आज के समय में हर कोई पैसा कमाने में लगा हुआ है इसके लिए वे अपनी भूख-प्यास सबकुछ त्याग देते हैं. कई लोगों का तो मानना है कि वे पैसे से सबकुछ खरीद सकते हैं. मगर इस बात को गलत साबित करते हुए एक करोड़पति डॉक्टर ने बहुत बड़ा खुलासा किया है. उन्होने जीवन की कुछ ऐसी बातें बताई हैं जिसे हर किसी को सुनना और समझना चाहिए.  पैसा सबकुछ नहीं होता है इस बात को तो वही समझेगा जो मौत से घबराता हो और ऐसा ही किया एक डॉक्टर ने, कैंसर से जूझ रहे करोड़पति डॉक्टर ने बताया जीवन का सच, चलिए बताते हैं पूरा मामला..

कैंसर से जूझ रहे करोड़पति डॉक्टर ने बताया जीवन का सच

पेशे से प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर रिचर्ड टिओ केंग सिएंग इस समय कैंसर से जूझ रहे हैं. इस डॉक्टर ने दुनिया को संदेश दिया है जो लोगों के दिल को छू गया है. जीवन के आखिरी दिनों को फेस कर रहे ऐसे में उन्हें सबक मिला और इसे उन्होंने दुनिया के साथ शेयर भी किया. लंग कैंसर से जूझ रहे एक डॉक्टर ने ये अपने जीवन में उतार लिया है कि पैसा बहुत अच्छी चीज है जिससे आप दुनिया की हर चीज खरीद सकते हैं. मगर आखिरी समय में ये पैसा काम नहीं आता है और असली चीज खुशी है. रिचर्ड को अक्टूबर, 2012 में कैंसर की बीमारी पता चली थी तब उनकी उम्र 40 साल थी. मगर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है और इसे इंटरनेशनल रीच मिल रही है.देखिए वीडियो-


इसमें डॉक्टर ने बताया, ‘मैं आज समाज का एक विशिष्ट उत्पादक बन गया हूं. युवा से मै हमेशा इस प्रभाव और दारणआ में जिया कि खुश होने का मतलब है कि सफल होना और सफल होने का मतलब है पैसे वाला होना. इसलिए मैंने इस आदर्श वाक्य में अपने जीवन का नेतृत्व किया. मैंने अपने करियर में करोड़ों रुपये कमाए हैं मगर ये मेरे किसी काम के नहीं है. मैं स्पोर्ट्स कार का शौकीन था और कार क्लब में रेसिंग करते समय गुजार देते हैं. मिस सिंगापुर यूनिवर्स राचेल कुम और फेसबुक के को-फाउंडर सेरिन सहित हाई प्रोफिल वाले लोग मिले. मेरे पास चार स्पोर्ट्स कारें हैं जिनमें होंडा S2000, निसान GTR, सुबारू WRX और फरारी 430 शामिल हैं.” रिचर्ड ने अपने लंग कैंसर के बारे में बात की और डॉक्टर होते हुए उन्हें महसूस नहीं हआ. डॉक्टर ने आगे कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछें कि मैं अपनी जिंदगी आज से शुरू कर सकूं, तो क्या मैं अलग डॉक्टर होता तो मैं कह सकता हूं कि हां मैं अलग होता क्योंकि अब मैं सच में समझ गया हूं कि मरीज कैसा महसूस करते होंगे. कई बार इस बात को बड़े मुश्किल तरीके से सीखते हैं.’

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