अध्यात्म

देश के नागदेवता से जुड़े हुए प्राचीन मंदिर, जहां पूजा करके कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति

सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं, यह इनकी पूजा-अर्चना और इनका जलाभिषेक करके इनको प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं, सावन का महीना भगवान शिवजी की पूजा के लिए बहुत ही खास माना गया है, इस महीने में कोई ना कोई त्यौहार आता रहता है, नाग पंचमी का त्यौहार भी सावन शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है, इस दिन सभी लोग नाग देवता की पूजा अर्चना करते हैं और इनका आशीर्वाद पाने की इच्छा रखते हैं, कई बार देखा गया है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष रहता है तो इसकी वजह से उस व्यक्ति के जीवन में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं।

अगर आप अपनी कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इसके लिए नाग पंचमी का दिन सबसे उत्तम माना गया है, आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ ऐसे प्राचीन नाग देवता के मंदिरों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और काल सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

आइए जानते हैं देश के नागदेवता से जुड़े हुए प्राचीन मंदिरों के बारे में

नागचंद्रेश्वर मंदिर

अगर हम देशभर के प्रसिद्ध नाग मंदिरों की बात करें तो एक प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध नाग मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है, जिसको नागचंद्रेश्वर मंदिर कहा जाता है, नाग देवता के इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर सिर्फ साल में एक बार ही आम लोगों के लिए खुलता है, वर्ष में एक बार ही आम लोग इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर भगवान शिव शंकर और माता पार्वती जी फन फैलाए नाग देवता के सिंहासन पर विराजमान बैठे हुए दिखाई देते हैं, ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति नाग पंचमी के दिन इस नाग के ऊपर विराजमान भोलेनाथ और माता पार्वती जी के दर्शन करता है उसकी कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष दूर होता है।

तक्षकेश्वर नाथ

नाग देवता का यह मंदिर प्रयागराज के पास यमुना नदी के किनारे स्थित है, ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में भगवान शिव जी के दर्शन करता है उसको कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है, इतना ही नहीं बल्कि उस व्यक्ति की आने वाली पीढ़ी भी काल सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करती है।

मन्नारशाला मंदिर, केरल

नाग देवता के प्राचीन मंदिरों में से एक मन्नारशाला मंदिर है, यह मंदिर केरल के अलेप्पी जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, यह 30,000 नागो वाला मंदिर है, इस मंदिर के अंदर आपको 30,000 नागों की प्रतिमाएं देखने को मिलती है, यह मंदिर 16 एकड़ में हरे भरे जंगलों के बीच है, इस मंदिर के अंदर नागराज और उनकी पत्नी नागयक्षी देवी की प्रतिमा मौजूद है।

नाग वासुकी मंदिर

नाग देवता का एक प्राचीन मंदिर प्रयागराज के संगम के पास ही दारागंज क्षेत्र में स्थित है, जिसको नाग वासुकी का मंदिर कहा जाता है, नाग देवता के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो व्यक्ति नाग पंचमी के शुभ अवसर पर यहां दर्शन करने के लिए आता है और यहां पर पूजा करता है उसकी कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से छुटकारा प्राप्त होता है, जब नाग पंचमी का त्यौहार आता है तब इस स्थान पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आकर शामिल होते हैं।

 

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