अध्यात्म

नाग पंचमी : दूध पिलाने के बाद क्यों की जाती है नाग देवता की पूजा ? जानिए दिलचस्प कारण

भारत त्योहारों का देश है इस बात के लिए इस देश को पूरी दुनिया पसंद करती है क्योंकि यहां हर दिन त्योहारों का उत्सव मनाया जाता है. अब जब 15 अगस्त के दिन पूरा देश आजादी के रंग में रंगा होगा तो इसके साथ ही हिंदू धर्म को मानने वाले नाग पंचमी का उत्सव भी मनाएंगे क्योंकि इस बार (2018) नाग पंचमी 15 अगस्त के दिन है और इसकी तैयारियां घरों और मंदिरों में जोरों से शुरु हो गई हैं. विज्ञान और शास्त्रों का हमेशा 36 का आंकड़ा रहा है क्योंकि जहां एक ओर विज्ञान कहता है कि सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उऩकी शारीरिक बनावट के कारण वे उसे पचा नहीं पाएंगे तो दूसरी ओर शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग को दूध ना पिलाना बहुत बड़ा पाप माना जाता है. दूध पिलाने के बाद क्यों की जाती है नाग देवता की पूजा, इस सवाल का जवाब आपको आज के इस लेख में मिलेगा.

दूध पिलाने के बाद क्यों की जाती है नाग देवता की पूजा

सावन के शुक्ल पंचमी के दिन को हिंदू धर्म में नागपंचमी का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन नाग की पूजा के साथ-साथ उन्हें दूध भी पिलाया जाता है लेकिन ऐसा क्यो किया जाता है इसके बारे में शायद ही आप जानते हों. हिंदू मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग को दूध पिलाने से घर में लक्ष्मी और सुख-समृद्धि का वास होता है. दूध को पिलाने से नाग देवता खुश होते हैं और उनकी कृपा से लक्ष्मी घर से बाहर नहीं जाती.

इसके अलावा नाग देवता की पूजा करने से किसी को सर्पदंश का भय नहीं होता है. सांपों की पूजा करने का दूसरा कारण ये भी है कि भारत कृषि प्रधान देश है और यहां सांप या चूहों की वजह से नुकसान ना हो इसलिए भोलेनाथ के इस प्रिय जीव की पूजा की जाती है.

इस दिन लोग पतंग भी उडाते हैं, दंगल का आयोजन भी करते हैं और अपने परिवार के साथ पकवान का आनंद भी लेते हैं. नाग पूजन करने के बाद कई शहरों में नाग देवता का मंदिर होता है जहां कई प्रकार के नागों की प्रदर्शनी लगती है और लोग उनका लुफ्त उठाने के लिए घूमने जाते हैं.

ज्योतिषों के अनुसार इस साल की नाग पंचमी में जो योग है वो 20 सालों के बाद बन रहा है. इस बार आपकी कुंडली में कालसर्प दोष को दूसर करने के उपाय करें इससे भोलेनाथ प्रसन्न होंगे. नाग पंचमी की शुरुआत तीन शुभ योगों के साथ कर्क लग्न में हो रही है. शुभ योग और शुक्र कन्या राशि में नीच का होने सेये योग इतने सालों के बाद बनने जा रहा है. इसमें अगर आप रुद्राभिषेक कराने के साथ-साथ कालसर्प की पूजा भी करवा दें तो वो दोष तो दूर होगा ही साथ ही आपको बहुत ज्यादा लाभ हो सकता है.

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