अध्यात्म

शास्त्रों की माने तो कभी अधूरा नहीं छोड़े ये 4 काम, वरना होता है बड़ा अनिष्ट

जीवन जीने का मार्ग बताने वाले शास्त्रों में कई सारी बहुमुल्य बाते बताई गई हैं, मनुष्य के जीवन के हर पक्ष के सम्बंध में उचित नियम बताए गए है। पर आज समय के साथ लोग शास्त्रों के ज्ञान को भूल चुके हैं, जबकि वास्तव में देखा जाए तो आज भी शास्त्रों में बताई गई बातें हमारे लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं, आज हम आपको कुछ ऐसी ही उपयोगी बाते बता रहे हैं जिसके पालन से जीवन में आने वाली अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकता है।

गरुड़ पुराण के बारे में तो आपने सुना ही होगा, जिसे सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। ऐसे में हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का विधान है, दरअसल इसमें मृत्युलोक की बातों का वर्णन मिलता है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा के साथ क्या होता है। वैसे आपको बता दे कि गरुड़ पुराण में मृत्युलोक के अलावा भी बहुत कुछ है। दरअसल गरुड़पुराण में एक तरफ जहां मृत्यु का रहस्य है तो दूसरी तरफ जीवन का ज्ञान छिपा हुआ है.. इसमें ज्ञान-विज्ञान, नीति-नियम और धर्म की बातों का उल्लेख हैं। इस तरह ये मनुष्य को सुखी जीवन के लिए मार्गदर्शन करता है और कई सारी कल्याणकारी बातें बताता है। जैसे गरुड़ पुराण के आचारकांड में नीतिसार अध्याय है, जिसमें ऐसे 4 कार्य बताए गए हैं, जिन्हें बीच में अधूरा छोड़ना व्यक्ति के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आज हम आपको इसी के विषय में बता रहें हैं, तो चलिए जानते हैं ये 4 काम कौन-कौन से हैं..

गरुण पुराण के अनुसार किसी भी रोग का उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि ये कष्टकारी हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित है तो उसे उसका पूरा उपचार कराना चाहिए ताकि वो बीमारी जड़ से मिट जाए। वहीं जो लोग बीच में है दवा और उपचार लेना बंद कर देते हैं, उन्हें फिर से बीमारी का खतरा हो सकता है। इसलिए बेहतर यही है कि जरूरी इलाज और उचित परहेज के जरिए पूरी तरह से बीमारी से निजात पाई जाए।

गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे में कार्य जिन्हें बीच में नहीं छोड़ना चाहिए उनमें से एक कार्य है  ऋण या उधार का भुगतान। यानी कि अगर आपने किसी से पैसा लिया है तो किसी भी स्थिति में उसे पूरा लौटा देना चाहिए, क्योंकि लिए गए ऋण का भार व्यक्ति के लिए आगे चलकर संकट पैदा कर सकता है। जैसे कि अगर समय पर उधार नहीं उतारा जाता है तो वो ब्याज के कारण फिर से बढ़ने लगता है। वहीं अगर आपने अपने किसी रिश्तेदार से ऋण लिया है और उसे नहीं चुका रहे हैं तो आपके रिश्तों में दरार पड़ने लगती है।

इसके साथ ही गरुड़ पुराण सीख देता है कि अगर कहीं आग लग रखी है तो उस आग को भी पूरी तरह से बुझा देना चाहिए, क्योंकि अगर अग्नि का छोटा सा भी अंश बच गया तो फिर उससे बड़ी आग लग सकती है  और जान-माल को खतरा हो सकता है।

वहीं जाने अंजाने में आपको अपने शत्रु बनाकर नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग आपको कभी भी कष्ट दे सकते हैं, इसलिए बेहतर यही है कि अगर आपका कोई शत्रु आपको बार-बार परेशान कर रहा है तो किसी भी तरह उससे शत्रुता खत्म कर लेने में ही आपकी भलाई है, वरना आपको वो शत्रु हमेशा कभी भी आपकी अहित कर सकता है। गरुण पुराण की माने तो शत्रुता का नाश करने से जीवन का भय खत्म हो जाता है।

 

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