अध्यात्म

शिवपुराण के अनुसार मेहमानों को खाना खिलाते समय इन बातों का रखें ध्यान, आपको मिलेगा इसका फल

हर कोई व्यक्ति जानता है कि घर आए मेहमानों को भगवान का रूप माना गया है, धार्मिक ग्रंथों में भी मेहमानों के महत्व के बारे में उल्लेख किया गया है, अगर किसी के घर मेहमान आते हैं तो उनको ईश्वर के समान माना जाता है, इसी वजह से घर पर आए अतिथि का मान सम्मान करना बहुत ही जरूरी है, अगर हिंदू धर्म में देखा जाए तो किसी भी त्यौहार या हवन पर मेहमानों को भोजन कराने का महत्व माना गया है, मेहमानों के सत्कार को लेकर धार्मिक ग्रंथों में बहुत सी बातें बताई गई हैं, जिनका पालन अगर व्यक्ति करता है तो उसको इसका फल अवश्य मिलता है।

आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से शिव पुराण के अनुसार ऐसी कुछ विशेष बातों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो घर आए मेहमानों से जुड़ी हुई है, अगर आप शिव पुराण में बताई गई अतिथि सत्कार की इन महत्वपूर्ण बातों का पालन करते हैं तो आपको अतिथि को भोजन कराने का फल अवश्य प्राप्त होता है, अगर आप मेहमानों को भोजन करा रहे हैं तो आपको उस समय के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है, आखिर यह जरूरी बातें कौन सी है? चलिए जानते हैं इनके बारे में।

आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार मेहमानों को खाना खिलाते समय किन बातों का रखें ध्यान

  • अगर आपके घर पर मेहमान आते हैं तो आप उनका हमेशा आदर सत्कार कीजिए, मेहमानों का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए, कई बार देखा गया है कि मनुष्य गुस्से में आकर या फिर किसी और वजह से घर में आए अतिथि का अपमान करने लगता है परंतु शिव पुराण के अनुसार यह गलत माना गया है, अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे आप पाप के भागी बन बन सकते हैं, इसी वजह से अगर आपके घर मेहमान आते हैं तो उनको अच्छे भोजन के साथ साथ पवित्र और मीठी वाणी के साथ उनका स्वागत और आदर सत्कार कीजिए।
  • आप लोगों में से ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी अवश्य होगी कि जिस मनुष्य का मन शुद्ध होता है उसको ही अपने शुभ कर्मों का फल प्राप्त होता है, परंतु जिन लोगों का मन शुद्ध नहीं होता वह चाहे कितने भी अच्छे कर्म कर ले उनको अपने द्वारा किए गए कर्मों का फल नहीं मिल पाता है, इसलिए अगर आप अपने घर में मेहमानों का आदर सत्कार कर रहे हैं और उनको भोजन करवाते समय आपके मन में कोई गलत भावना उत्पन्न हो रही है तो ऐसे में आपको अतिथि को भोजन कराने का फल नहीं मिलता है।

  • अतिथि को ईश्वर के समान माना गया है, अगर आप ईश्वर की सेवा करते हैं तो आपका शरीर अपवित्र नहीं होना चाहिए, इसी प्रकार मेहमानों की सेवा करते समय आप हमेशा पवित्र रहे, अगर आप मेहमानों को भोजन करा रहे हैं तो उनको भोजन कराने से पहले आप शुद्ध जल से स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़ों का धारण कीजिए, अगर आप अपवित्र और बासी शरीर से मेहमानों की सेवा करते हैं तो आपको इसका उचित फल नहीं प्राप्त होता है।
  • शिव पुराण के अनुसार अगर आप अपने घर पर आए अतिथि को भोजन करा चुके हैं तो उसके पश्चात उनको कुछ ना कुछ उपहार के रूप में अवश्य दीजिए, आप अपनी श्रद्धा से मेहमानों को कुछ भी दे सकते हैं, अगर आप अपनी अच्छी भावना से उनको उपहार देते हैं तो इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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