अध्यात्म

15 अगस्त को है अजा एकादशी का व्रत, जानिए पूजा विधि, विष्णुजी सारी मनोकामनाएं करेंगे पूर्ण

भगवान विष्णु जी को जगत का पालनहार कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने का सबसे उत्तम दिन एकादशी है। आपको बता दें कि इस साल आजा एकादशी का व्रत 15 अगस्त यानी शनिवार के दिन रखा जाने वाला है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, अजा एकादशी के नाम से जानी जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यदि इस दिन का व्रत किया जाए तो इससे सर्व श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। अगर सच्चे मन से इस दिन विष्णु जी की आराधना की जाए तो मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। आज हम आपको अजा एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

अजा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ- 14 अगस्त 2020 शुक्रवार दोपहर 2:01 बजे से

एकादशी तिथि समाप्त- 15 अगस्त 2020 शनिवार दोपहर 2:20 बजे तक

जानिए व्रत रखने की सही विधि

  • जो लोग एकादशी का व्रत रखने वाले हैं वह एकादशी से एक दिन पहले दोपहर के समय ही भोजन करें।
  • आप रात्रि के समय भोजन मत कीजिए, ताकि पेट में भोजन का कोई अंश बाकी ना रहे।
  • अगर आप अजा एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो यह बहुत कठिन व्रत माना जाता है। आप एकादशी व्रत पर किसी भी प्रकार का अनाज ग्रहण ना करें।
  • आप एकादशी का व्रत निर्जला यानी कि बिना पानी पिए करें। आप दूसरे दिन सुबह को व्रत का पारण कर सकते हैं।
  • जो लोग एकादशी का व्रत कर रहे हैं वह अपनी क्षमता अनुसार पानी के साथ या फलाहार करके भी व्रत कर सकते हैं।
  • आप एकादशी के दिन रात के समय ना सोएं। आप भगवान विष्णु जी का सुमिरन कीजिए।

जानिए अजा एकादशी की पूजा विधि

  • अगर आप एकादशी का व्रत रखने वाले हैं तो सुबह के समय प्रातः काल में जल्दी उठ जाएँ। अपने सभी कार्यों से निवृत्त होकर आप स्नान कर लीजिए, इसके पश्चात आपको भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लेना होगा।
  • आप अपने घर के अंदर पूर्व दिशा में किसी साफ-सुथरे स्थान पर एक चौकी पर भगवान का आसन लगा दीजिए और उस पर एक गेहूं की ढेरी रखकर कलश में जल भरकर स्थापना कीजिए।
  • आप तलाश पर पान के पत्ते लगाएं और ऊपर से नारियल रख दीजिए, इसके बाद आपको भगवान विष्णु जी की कोई तस्वीर लगानी होगी।
  • आप भगवान विष्णु जी की दीपक, फल, फूल से पूजा कीजिए।
  • दूसरे दिन प्रातः काल में स्नान करने के पश्चात विष्णु जी की पूजा करें और किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात दान-दक्षिणा देकर अपने व्रत का पारण कीजिए।
  • आप कलश के जल को अपने घर में छिड़क दीजिए और बचे हुए जल को आप तुलसी के पौधे में अर्पित कर सकते हैं।

अजा एकादशी का महत्व

  • अगर अजा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ किया जाए तो इससे मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ऐसा बताया जाता है कि अजा एकादशी का व्रत अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्रदान करता है।
  • अगर व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत नियम पूर्वक करता है तो उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को समस्त पापों से छुटकारा मिलता है।
  • अजा एकादशी व्रत करने से मनुष्य की आत्मा मृत्यु के पश्चात बैकुंठ धाम को प्रस्थान करती है।

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