अध्यात्म

लक्ष्मीजी के इस मंदिर में सच्चे मन से आने वाले को मिलती है माता की कृपा, मुरादे होती हैं पूरी

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मां लक्ष्मी धन की देवी हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति का जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। वर्तमान समय में बहुत से लोग ऐसे हैं जो माता लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। लोग मंदिरों में जाकर माता रानी के दर्शन करते हैं और अपना जीवन खुशहाल बनाने की प्रार्थना करते हैं। वैसे देखा जाए तो देश भर में ऐसे बहुत से मंदिर हैं, जहां पर माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन आज हम आपको देवी लक्ष्मी जी के एक ऐसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जो भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त अपने सच्चे भक्ति भाव से यहां पर दर्शन करने के लिए आता है. उनके ऊपर माता रानी की कृपा दृष्टि बनी रहती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं माता रानी पूरी करतीं हैं।

हम आपको माता लक्ष्मी जी के जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं, यह मंदिर यमुना किनारे गऊघाट पर लाल दरवाजा क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर को “श्री महालक्ष्मी जुड़ीवाली देवी” के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर देश भर में मशहूर है। तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी में एक यह ऐसा मंदिर है जहां पर जलेबी के जोड़े से माता की पूजा की जाती है। इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि कुंवारे लड़के-लड़कियों के लिए यह मंदिर किसी वरदान से कम नहीं है।

इस मंदिर के महंत का ऐसा बताना है कि जिन लड़के-लड़कियों की शादी नहीं हो रही है, वह यहां पर आकर पूजा करते हैं और वह विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। माता रानी की पूजा में दूध, कलावा, धनिया, रोली, दीपक, फूल माला आदि सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा जलेबी के जोड़ें और डंठल में जुड़े 2 केलो का होना बहुत ही जरूरी माना जाता है।

माता रानी के इस मंदिर के इतिहास के बारे में ऐसा बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले रघुनाथ दास शर्मा को 3 दिन स्वप्न दिखाई दिए थे। पहले सपने में देवी माता ने उनसे कहा था कि वह यमुना किनारे अमुक स्थान पर मूर्ति के रूप में विराजमान हैं, उनको बाहर निकाल कर पूजा करें ,माता रानी ने यह भी कहा था कि वह जनकल्याण के लिए बाहर आना चाहतीं हैं। तब रघुनाथ दास शर्मा ने वहां पर खुदाई शुरू कर दी। उसी रात माता रानी ने दोबारा से सपने में दर्शन दिए। तब माता ने कहा था कि फावड़े से खुदाई कराने की जगह खुरपी से धीरे-धीरे खुदाई करें ताकि मूर्ति खंडित ना हो जाए, जिसके बाद खुरपी से सावधानी पूर्वक खुदाई शुरू कर दी गई थी।

खुदाई से निकली माता की मूर्ति को स्थापित करने और मंदिर बनाने की बात चल रही थी, तब दोबारा से देवी माता ने सपने में दर्शन दिए और उन्होंने रघुनाथ दास शर्मा से कहा कि वह यहां से कहीं नहीं जाएंगी। जहां से वह निकली हैं, ठीक उसी स्थान पर उनको स्थापित करके मंदिर बनवाया जाए।

माता लक्ष्मी जी के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जो भक्त श्रद्धा और पूरी निष्ठा से यहां पर पूजा करता है उसके ऊपर देवी मां की आशीर्वाद बना रहता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा भी बताया जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार 2 वर्ष पूर्व कराया जा चुका है, जिन्होंने इसका जीर्णोद्धार कराया था उनका परिवार सुखी होने के साथ भक्ति भाव में रंग गया है। इस मंदिर के अंदर गुरुवार और रविवार के दिन माता रानी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शुक्रवार के दिन यहां पर वैभव लक्ष्मी जी की पूजा होती है।

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