अध्यात्म

शनि जयंती 2020: जानिए किस स्थिति में लगता है शनि दोष, इसका प्रभाव कम करने के लिए करें ये उपाय

जेष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इस वर्ष 22 मई 2020 को शनि जयंती मनाई जाने वाली है, यदि किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा चल रही है तो ऐसे में शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है ताकि इनके बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल सके, यदि किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की वजह से परेशानी उत्पन्न हो रही है तो शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उन लोगों को शनिदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

जब भी शनिदेव का नाम लोग सुनते हैं तो उनके मन में डर बैठ जाता है, क्योंकि शनि देव को सबसे क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है, शनि देव न्याय प्रिय हैं और यह मनुष्य के कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं, व्यक्ति से अपने जीवन में जाने अनजाने में बहुत सी गलतियां हो जाती है, जिसकी वजह से शनि की बुरी छाया व्यक्ति पर पड़ने लगती है, शनि दोष की वजह से व्यक्ति के बुरे दिन आरंभ होने लगते हैं, आज हम आपको शनि दोष से जुडी हुई कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताने वाले हैं।

जानिए किसको कहते हैं शनि दोष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की बहुत ही धीमी चाल बताई गई है, शनि ग्रह की चाल बहुत ही धीमी मानी जाती है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ भाव में विराजमान हो जाता है तो इसकी वजह से उस व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की शुरुआत हो जाती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को तरह-तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है, इसी को शनि दोष के नाम से जाना जाता है।

जानिए शनि की साढ़ेसाती क्या होती है

अगर हम ज्योतिष के जानकारों के अनुसार देखें तो जब शनि चंद्र राशि से बारहवें भाव, पहले भाव और द्वितीय भाव में स्थित होता है तो इसको शनि साढ़ेसाती के नाम से जानते हैं।

जानिए शनि की ढैय्या किसे कहते हैं

जब शनि ग्रह का गोचर होता है तब इसके परिवर्तन में जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में रहता है तब इस स्थिति में शनि की ढैय्या रहती है, ज्योतिष गणना के अनुसार एक राशि में शनि की ढैया साढ़े 7 वर्ष रहती है और दूसरी अवस्था में 16 वर्ष तक शनि की ढैय्या रहती है।

जानिए किस स्थितियों में व्यक्ति के ऊपर लगता है शनि दोष

  1. अगर शनि ग्रह नीच राशि मेष में होता है तो इसकी वजह से शनि दोष उत्पन्न होता है।
  2. शनि दोष उत्पन्न होने का एक कारण शनि सूर्य और चंद्रमा के साथ युति बनने का भी है।
  3. अगर शनि ग्रह अपनी शत्रु राशि में प्रवेश करता है तो इससे शनि दोष उत्पन्न होने लगता है, जिसकी वजह से लोगों को बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।

शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए इन उपायों को अपनाए

  • अगर आप शनिदेव की पूजा करते हैं और तेल, उड़द का दान करते हैं तो इससे शनि दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए आप हनुमान जी की पूजा करें।
  • शनिवार, शनि जयंती और शनि अमावस्या के दिन अगर आप शनिदेव की विशेष पूजा अर्चना करते हैं तो इससे शनि दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आप शनि मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

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