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8 साल की बच्ची बनी सन्यासन, 600 KM पदयात्रा की, कभी TV नहीं देखी, पिता हैं बड़े हीरा व्यापारी

आज का युवा भारतीय संस्कृति को भूलता जा रहा है। उसे वेस्टर्न कल्चर में ज्यादा रुचि होती है। बच्चे भी इस पश्चिमी सभ्यता की ओर अधिक झुकते हैं। लेकिन आपको जान हैरानी होगी कि गुजरात के सूरत में एक 8 साल की बच्ची सांसारिक मोहमाया छोड़ साध्वी बन गई। उसने सन्यास का मार्ग अपना लिया। अब ये बच्ची हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई है।

8 साल की बच्ची बनी साध्वी

देवांशी संघवी अभी महज 8 साल की हैं। उनके पिता धनेश संघवी सूरत के बड़े हीरा कारोबारी है। उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी देवांशी और 4 साल की छोटी बेटी काव्या। देवांशी की मां अमी संघवी शुरू से धार्मिक विचारों वाली रही हैं। ऐसे में उन्होंने अपनी बेटी को भी ऐसे ही संस्कार दिए। देवांशी का रुझान बचपन से ही धर्म में अधिक रहा है।

देवांशी संघवी दीक्षा लेने के बाद साध्वी दिगंत प्रज्ञा श्रीजी बन गई हैं। उन्होंने 18 जनवरी को किर्तीयश सूरी जी महाराज के सानिध्य में अपनी गुरु साध्वी प्रिस्मीता श्रीजी द्वारा दीक्षा ग्रहण की। देवांशी ने सब ये दीक्षा ग्रहण की तो इसे साक्षात देखने के लिए लगभग 35 हजार सामाजिक लोगों की भीड़ मौजूद थी। इस दौरान हाथी-घोड़ा और बैंड बाजे के साथ देवांशी की शोभा यात्रा भी निकाली गई।

दिलचस्प बात ये रही कि साध्वी बनने से पहले देवांशी अपने गुरु संग 600 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा भी कर चुकी है। उन्होंने अब तक अब तक 357 दीक्षा ली है। वह तीर्थों की यात्रा पर जाती रहती हैं। यहां जैन धर्म ग्रंथों का वाचन भी करती हैं। इतनी छोटी सी उम्र में इतना कुछ हासिल करने वाली इस बच्ची को देख कई लोग हैरान है। इस उम्र में कई बच्चे कार्टून और वीडियो गेम जैसी चीजों में रुझान रखते हैं। लेकिन देवांशी का मन तो सिर्फ धार्मिक कार्यों में ही लगता है।

पिता हैं बड़े हीरो कारोबारी

एक और हैरत की बात ये भी रही कि देवांशी के पिता धनेश सांघवी की गिनती सूरत के सबसे बड़े और करोड़पति हीरा कारोबारियों में होती है। वह मूल रूप से राजस्थान के सिरोही जिले के मालगांव के रहने वाले हैं। वह अपना हीरो का कारोबार अपने पिता मोहन भाई संघवी के साथ चलाते हैं। उनका यह हीरो का बीजनेस सूरत और मुंबई में संघवी एंड संस के नाम से चलता है।

करोड़ों रुपए होने के बावजूद देवांशी का परिवार एक साधारण जीवन जीता है। देवांशी शुरुआत से काफी हुनरमंद भी रही हैं। वह क्विज में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं। उन्हें संगीत के सभी राग में गाना, भरतनाट्यम और योगा जैसी चीजें भी अच्छे से आती हैं। इतना ही नहीं वह हिंदी, अग्रेजी, संस्कृत, जारवाड़ी और गुजराती समेत अन्य भाषाओं का ज्ञान भी रखती हैं। उन्होंने कभी टीवी नहीं देखी है।

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