अध्यात्म

अत्यंत चमत्कारी व सिद्ध है माता का ये मंदिर, यहां भक्तों को कष्टों से मिल जाती है मुक्ति

देशभर के प्राचीन देवी मां के मंदिरों में भक्त हजारों-लाखों की संख्या में दर्शन करने के लिए जाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि देवी मां की पूजा उपासना करने से भक्तों के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। जो भक्त अपने सच्चे मन से माता रानी का स्मरण करता है उसके ऊपर इनकी कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है। आज हम आपको देवी मां के एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसको अत्यंत चमत्कारिक और सिद्ध माना गया है। ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर सती माता की नाभि गिरी थी, जिसकी वजह से यह स्थान शक्तिपीठों में शामिल हुआ है।

हम आपको देवी मां के जिस शक्तिपीठ के बारे में जानकारी देने वाले हैं यह उत्तरांचल में स्थित है जिसको महाकाली की पीठ माना जाता है। माता रानी का यह मंदिर दुनिया भर में “पूर्णागिरी मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। इस शक्तिपीठ के संबंध में ऐसा बताया जाता है कि अभी कुछ वर्षों पूर्व तक शाम होते ही यहां पर रुकना मना होता था। पूर्णागिरि का मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर 5500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहां पर विष्णु चक्र से कटकर गिरा था।

शिव पुराण में रूद्र संहिता के अनुसार देखा जाए तो दक्ष प्रजापति की कन्या सती का विवाह भगवान शिव जी के साथ हुआ था। एक समय दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया था जिसमें समस्त देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया परंतु शिव जी को अपमान करने की दृष्टि से उनको आमंत्रित नहीं किया गया था। जब सती माता ने देखा कि उनके पति शिव जी का अपमान हो रहा है तो वह सहन नहीं कर पाईं। तब माता सती ने अपने देह की आहुति यज्ञ मंडप में कर दी थी। माता सती जी के शरीर को लेकर भगवान शिवजी आकाश में विचरण करने लगे। जब भगवान विष्णु जी ने शिव शंकर के तांडव नृत्य को देखा तो उनको शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। जहां जहां पर सती के अंग गिरे वहां पर शक्ति पीठ स्थापित हो गए। पूर्णागिरि में सती का नाभि अंग गिरा था।

माता रानी के दरबार में प्रति वर्ष सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु कष्ट सहन करके आते हैं। जिस प्रकार मां वैष्णो देवी जम्मू के दरबार में भक्त भारी संख्या में दर्शन करने के लिए जाते हैं ठीक उसी प्रकार पूर्णागिरि माता मंदिर में भी हर वर्ष लाखों की तादाद में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। माता के इस दरबार में पहुंचने का मार्ग बहुत ही दुर्लभ है. अगर भक्तों से किसी भी प्रकार की लापरवाही हो जाए तो इसकी वजह से वह अपनी जान गवां सकता है। ऊंची पहाड़ियों पर बने माता के दरबार के नीचे काली नदी का कल-कल करता पानी भक्तों के हृदय में कम्पन्न उत्पन्न कर देता है।

पूर्णागिरी मंदिर में नवरात्रि के दिनों में भक्त माता के दर्शन करने के लिए दूर-दराज से आते हैं। वैसे तो हर मौसम में यहां पर भक्तों की मौजूदगी देखने को मिलती है। शरद ऋतु की नवरात्रि में इस स्थान पर मेले का आयोजन होता है। नवरात्रि के दिनों में भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां पर आते हैं। भीड़ अधिक होने की वजह से घंटों तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।

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