अध्यात्म

देवघर के बैद्यनाथ धाम में मुँह मांगी हर मुराद होती है पूरी, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

हमारे भारत देश में ऐसे बहुत से पवित्र और धार्मिक स्थल है जिनकी कोई ना कोई विशेषता अवश्य है, अपनी विशेषताओं के लिए यह स्थान दुनिया भर में प्रसिद्ध है, इन्हीं स्थानों में से एक देवघर के बैद्यनाथ धाम का नाम आता है, इसका देश के पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नाम आता है, शास्त्रों में इस स्थान की महिमा के बारे में उल्लेख किया गया है, ऐसा बताया जाता है कि देवघर के बाबा का नाम बैद्यनाथ का नामकरण सतयुग में ही हो गया था, स्वयं भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी ने भैरव के नाम पर यहां का नाम बैद्यनाथ धाम रखा था, जो श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मनोकामना मांगता है वह मनोकामना अवश्य पूरी होती है, सावन के महीने में यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, सावन का महीना इसके लिए बहुत ही खास माना गया है।

इस पवित्र तीर्थ स्थल के सबसे वरिष्ठ पंडित का ऐसा बताना है कि शास्त्रों के मुताबिक इस स्थान पर देवी सती के हृदय और भगवान शिव जी के आत्म लिंग का सम्मिश्रण है, यहां पर जो ज्योतिर्लिंग मौजूद है इसकी शक्ति अपार बताई गई है, जो व्यक्ति यहां पर आकर अपने सच्चे मन से पूजा पाठ और ध्यान करता है तो उसकी सभी मुरादें अवश्य पूरी हो जाती है, आम लोग ही नहीं बल्कि बड़े बड़े साधु संत भी इस स्थान पर मोक्ष प्राप्ति के लिए उपस्थित होते हैं।

आखिर देवघर के बाबा को बैद्यनाथ धाम क्यों कहा जाता है, इसके पीछे की मुख्य वजह शिव पुराण में बताई गई है, शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माता सती के शरीर के 52 टुकड़ों की रक्षा के लिए भगवान भोलेनाथ ने सभी स्थानों पर भैरव को स्थापित किया था, देवघर में माता सती का हृदय गिरा था इसलिए इसको हृदय पीठ या शक्तिपीठ भी कहा जाता है, भगवान शिव जी ने माता सती के हृदय की रक्षा के लिए यहां पर जिस भैरव को स्थापित किया था उनका नाम बैद्यनाथ था जब रावण शिवलिंग लेकर इस स्थान पर पहुंचा था तब भगवान ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने भैरव के नाम पर इस शिवलिंग का नाम बैद्यनाथ रखा था।

अगर हम इस पवित्र तीर्थ स्थल के पंडितों की मान्यता अनुसार देखें तो बैद्यनाथ के नामकरण के पीछे भी एक मान्यता बताई जाती है, ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में बैजू नाम का एक शिव भक्त था, इस शिव भक्त की भक्ति से भगवान भोलेनाथ बहुत ही अधिक प्रसन्न हुए थे, जिसकी वजह से भगवान शिव जी ने अपने नाम के आगे बैजू जोड़ लिया था, इसी वजह से इस स्थान का नाम बैजनाथ पड़ा और समय के साथ-साथ यह बैद्यनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ है।

देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में वर्ष भर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है परंतु सावन के महीने में इस स्थान पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है, सावन के पवित्र महीने में भक्त सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की कष्टप्रद पैदल यात्रा करके बैद्यनाथ धाम तक आते हैं और देवघर के बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं, यही सिलसिला पूरे 1 माह तक चलता रहता है, इस पवित्र स्थान के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान से कोई भी भक्त निराश होकर वापस नहीं जाता है, सभी भक्तों को अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

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