अध्यात्म

कैसे हुआ था हनुमान जी का विवाह और कैसे बने थे एक पुत्र के पिता, जानिए इसकी रोचक कथा

महाबली हनुमान जी सभी देवताओं में शक्तिशाली देवता माने गए हैं और यह ब्रह्मचारी माने जाते हैं, अगर आप हम पौराणिक कथाओं के अनुसार देखें तो ऐसा बताया जाता है कि भले ही हनुमान जी ब्रह्मचारी है लेकिन हनुमान जी का विवाह हुआ था, हनुमान जी का पूरी रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न हुआ था, इतना ही नहीं बल्कि हनुमान जी एक पुत्र के पिता भी थे, परंतु इनके विवाह और पुत्र प्राप्ति में कोई भी संबंध नहीं बताया जाता है, अब आपके मन मे सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि आखिर हनुमान जी पिता कैसे बने, आखिर इनकी शादी होने के बाद भी यह ब्रह्मचारी कैसे माने जाते हैं? तो चलिए इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं।

हनुमान जी के विवाह के संबंध में ऐसा माना जाता है कि जब महाबली हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देवता से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी शिक्षा समाप्त होने के पश्चात आखिरी शिक्षा रह गई थी, यह आखिरी शिक्षा बिना शादीशुदा व्यक्ति को नहीं दी जाती थी, जो व्यक्ति विवाहित है वही इस शिक्षा को प्राप्त कर सकता था, अब हनुमान जी के समक्ष यह परेशानी खड़ी हो गई कि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया है, अपनी इस समस्या को लेकर हनुमान जी बहुत ही परेशान हो गए, जब सूर्य देवता ने हनुमान जी की परेशानी को देखा तो अपने शिष्य की समस्या के हल के लिए उन्होंने इसका समाधान निकाला, सूर्य देवता ने हनुमान जी से कहा कि तुम मेरी पुत्री सुवर्चला से शादी कर लो, तब हनुमान जी ने सूर्य देवता की बात मानी और सभी रीति-रिवाजों और मंत्रों के साथ हनुमान जी का विवाह सुवर्चला से हो गया था।

यदि हम पराशर संहिता के मुताबिक देखे तो महाबली हनुमान जी ने पूरी जिंदगी ब्रह्मचारी का जीवन व्यतीत करने का प्रण लिया था और उनकी पत्नी सुवर्चला तपस्विनी थी, जब सूर्य देवता ने अपनी पुत्री का विवाह हनुमानजी से संपन्न करवा दिया तब हनुमान जी की पत्नी विवाह के पश्चात वापस तपस्या के लिए चली गई थी, आखरी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विवाह की शर्त हनुमान जी ने पूरी कर ली थी तब उन्होंने अपनी आखरी शिक्षा पूरी की थी।

हनुमान जी के विवाह का सबूत आंध्र प्रदेश में स्थित हनुमानजी का एक प्राचीन मंदिर है, यहां पर हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं, इस मंदिर से यह सबूत मिलता है कि हनुमान जी ने विवाह किया था, इस मंदिर के अंदर दंपत्ति हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए आते हैं, हनुमान जी की कृपा से शादीशुदा जिंदगी की सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जब महाबली हनुमान जी अपनी पत्नी से शादी के पश्चात अलग हो गए थे और यह अपनी पत्नी से नहीं मिले थे तो आखिर यह एक पुत्र के पिता कैसे बने थे? आपके इस सवाल का जवाब बाल्मीकि रामायण मैं मिलता है, आपको बता दें कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब महाबली हनुमान जी सीता की खोज में लंका जा पहुंचे थे तब हनुमान जी ने लंका दहन किया था, लंका दहन करने के पश्चात अग्नि के तेज ताप की वजह से हनुमान जी का पसीना निकलने लगा था, यह अपनी पूंछ में लगी हुई आग को बुझाने के लिए समुंदर की तरफ गए, तब उसी दौरान इनके शरीर से पसीने की बूंद टपक कर एक मछली के मुंह में गिर गई, जिसके कारण मछली गर्भवती हो गई थी, मछली के गर्भ से एक वानर रूपी मानव का जन्म हुआ था जिसको रावण के भाई अहिरावण ने पाताल लोक का द्वारपाल बना दिया था।

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