अन्य

SC/ST एक्ट में लखनऊ हाईकोर्ट बेंच का बड़ा फ़ैसला, इस एक्ट के तहत सीधे गिरफ़्तारी ना की जाए

देश में कुछ दिनों पहले SC/ST एक्ट को मूल रूप में लागू किए जानें के बाद से सवर्ण समुदाय मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हो गया था। देशभर में कई जगहों पर सवर्णो ने एकत्र होकर धरना भी दिया था। कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) अधिनियम मामले पर पउत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा आदेश दिया है। SC/ST एक्ट या किसी अन्य क़ानून जिसमें सात साल या उससे काम की सज़ा है, उसके तहत आरोपितों की रूटीन गिरफ़्तारी पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।

कोर्ट ने कहा कि आरपीसी प्रावधानों का पालन किए बग़ैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी चार लोगों को गिरफ़्तार नहीं कर सकती। बता दें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा कि 7 साल से कम सज़ा के मामलों में आरोपी की गिरफ़्तारी से पहले नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया जाए। आरोपित अगर नोटिस की शर्तों का पालन करता है तो उसे विवेचना के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में आरपीसी की धारा 41 और 41ए का पालन किया जाए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सीधे किसी व्यक्ति की गिरफ़्तारी तभी की जाए जब बहुत ज़्यादा ज़रूरी हो। आपकी जानकारी के लिए बता दें हाईकोर्ट के जस्टिस अजय लम्बा और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने यह बातें SC/ST एक्ट में केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद 19 अगस्त को दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द करने की माँग वाली याचिका की सुनवाई करते हुए कही। जानकारी के अनुसार यह याचिका गोंडा के कांडरे थाने में राजेश मिश्रा के ख़िलाफ़ मारपीट , SC/ST एक्ट के मामले में हुई गिरफ़्तारी को रद्द करवाने के लिए दायर की गयी थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में गिरफ़्तारी से पहले अनरेश कुमार बनाम बिहार राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए 2014 के एक फ़ैसले का पालन किया जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अनरेश कुमार मामले में फ़ैसला दिया था कि यदि किसी के ख़िलाफ़ दर्ज की गयी प्राथमिकी में अपराध की अधिकतम सज़ा सात साल तक की है तो ऐसे मामलों में सीआरपीसी 41 और 41ए के प्रावधानों का पालन किया जाएगा।
जाँचकर्ता को पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि गिरफ़्तारी बहुत ज़रूरी है, अन्यथा अन्यथा न्यायिक मजिस्ट्रेट गिरफ़्तार व्यक्ति की न्यायिक रिमांड नहीं लेगा। आपको बता दें कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि SC/ST एक्ट को उसी रूप में लागू नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार कई बार इस एक्ट का ग़लत फ़ायदा भी उठाया गया है। इस तरह के कई मामले सामने भी आ चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अनदेखा करते हुए इसे मूल रूप में फिर से लागू कर दिया। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना पूछताछ के ही गिरफ़्तार किया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button