बॉलीवुड

राजकपूर की फिल्मों में हीरोइनों के कपड़े इस तरह होते गए कम, इस फिल्म ने तो मचा दिया था धमाल

बॉलीवुड में हर फिल्म निर्माता का अंदाज अलग होता था. अगर वो फिल्म बनाने के साथ ही उसे निर्देशित भी कर रहा है तो उनके अंदाज में पूरी फिल्म डिजाइन की जाती थी. जैसे यश चोपड़ा के सेट रोमांटिक रहने के साथ हीरोइन शिफॉन की साड़ी में जलवे बिखेरती थी, सुभाष घई अपनी फिल्मों के किसी ना किसी गाने में एक जगह नजर आते थे और संजय लीला भंसाली की फिल्मों में भव्य सेट और हीरोइनों को खास ड्रेस दी जाती है. बिल्कुल उसी तरह दिग्गज कलाकार राज कपूर की फिल्में भी उस दौर की बोल्ड फिल्में होती थीं. इस तरह राजकपूर की फिल्मों में हीरोइनों के कपड़े होते गए कम, चलिए बताते हैं उन फिल्मों और हीरोइनों के बारे में.

इस तरह राजकपूर की फिल्मों में हीरोइनों के कपड़े होते गए कम

50 के दशक के दिग्गज अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, स्टोरी राइटर और स्क्रीनप्ले राइटर राज कपूर को शो मैन ऐसे ही नहीं कहा जाता था. उन्होंने 70 और 80 के दशक में कुछ ऐसी फिल्में बनाई जो उस समय की बोल्ड फिल्में मानी जाती थीं. राजकपूर ने इंडियन सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं लेकिन इसके साथ ही उनकी फिल्मों में उनकी एक्ट्रेसेस के कपड़े भी कम होते जाते थे. आज हम ऐसी ही कुछ फिल्मों का जिक्र यहां करेंगे.

आग (1948)

साल 1948 में आई फिल्म आग से अपने निर्देशन और निर्माण का काम शुरु किया. इस फिल्म की कहानी राज कपूर ने एक्टिंग की थी और इसमें उनका चेहरा जला गुआ था और इसी कहानी पर फिल्म भी बनी थी. इसमें नरगिस और प्रेमनाथ अहम किरदारों में थे. बतौर निर्देशक राज कपूर ने अपनी पहली फिल्म में दिखाया कि वह कमर्शियल सिनेमा में भी सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बना सकते हैं.

आवारा (1951)

साल 1951 में आई फिल्म आवारा से राजकपूर को ऐसी शोहरत मिली कि उन्हें लोगों ने बतौर निर्देशक पसंद करना शुरु कर दिया. इस फिल्म में एक सीन था जिसमें एक कोर्ट से शुरु होकर फ्लैशबैक में सीन चला जाता है. इसमें राज कपूर ने चोर की भूमिका निभाई थी और जिंदगी की परस्थितियों ने उसे चोर बनाया था. अमेरिकन न्यूज मैगजीन टाइम ने साल 2012 में इस फिल्म को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की लिस्ट में शामिल किया. इसमें भी उनकी होरइन नरगिस ही थीं, जिनकी अदाकारी ने सबका दिल जीत लिया था.

श्री 420 (1955)

राजकपूर ने सामाजिक विषमताओं में कॉमेडी को मिक्स करके फिल्म श्री 420 बनाई. इसमें अभिनेत्री नरगिस ने जितने भी कपड़े पहने हैं वो सब राज कपूर की पसंद के ही पहनाए गए. आवारा के बाद श्री 420 में भी राजकपूर का यह प्रयोग भी कामयाब रहा और राज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में भी नरगिस और राज कपूर की ही जोड़ी है. फिल्म में नरगिस गरीब घराने की लड़की हैं, वहीं राज कपूर इलाहाबाद का एक लड़का है जो बम्बई में आकर नरगिस से मिलता है और धीरे धीरे चोर बन जाता है.

संगम (1964)

सिनेमा रंगीन होना शुरु ही हुई थी कि राजकपूर फिर एक बार फिल्म संगम ले आए. फिल्म संगम उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है. साल 1964 में आई इस फिल्म को उनकी सबसे बेहतरीन फिल्मों में एक माना जाता है. लव ट्राएंगल वाली फिल्म में राज कपूर के अलावा वैजंती माला और राजेंद्र कुमार थे. फिल्म काफी हद तक साल 1939 में आई हॉलीवुड फिल्म गॉन द विंड पर आधारित थी. संगम 60 के दशक में आई फिल्म मुगल-ए-आजम के बाद दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी. इसमें भी अभिनेत्री वैजंती माला के कुछ बोल्ड सीन हैं.

मेरा नाम जोकर (1970)

संगम की कामयाबी के बाद फिल्म मेरा नाम जोकर आई, फिल्म तो फ्लॉप हो गई थी लेकिन ये फिल्म राजकपूर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में शुमार है. इसमें उनके छोटे बेटे ऋषि कपूर ने 12 साल के बच्चे का किरदार निभाया था जो बड़े होकर राज कपूर ही बनता है. ये वो दौर था जब राज कपूर को नरगिस से प्यार में रुसवाई मिली थी और इस फिल्म को बनने में 6 साल लग गए. इस फिल्म को बनाने में राज कपूर का घर, बंगला, ऑफिस सब गिरवी रख दिया गया. ये फिल्म बहुत लंबी थी और इसमें दो इंटरवल भी थे. फिल्म में बहुत मेहनत की गई थी बहुत सारे बोल्ड सीन भी दिखाए गए लेकिन फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हो गई थी और इससे राज कपूर टूट गए थे.

बॉबी (1973)

फिल्म मेरा नाम जोकर फ्लॉप होने से टूटे हुए राज कपूर ने दो सालों तक किसी फिल्म को बनाने का जिक्र भी नहीं किया. इसके बाद उनके दिमाग में साल 1972 को फिल्म बॉबी बनाने का आइडिया आया और उन्होने इस फिल्म में ज्यादातर वही सीन लिखे जो उनके और नरगिस की कहानी पर आधारित था. इस फिल्म से उन्होने डिंपल कपाड़िया और अपने छोटे बेटे ऋषि कपूर को एडल्ट एक्टर के तौर पर लॉन्च किया. उस दौर में भी फिल्म में लिवलॉक सीन दिखाए गए और इसके सभी गाने ब्लॉकबस्टर गए. फिल्म जब रिलीज हुई तो इसने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए और राज कपूर को एक बार फिल्म हिम्मत दी आगे फिल्में बनाने की.

सत्यम शिवम सुंदरम (1978)

साल 1978 में फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम आई, और इस फिल्म ने ऐसी कामयाबी बटोरी कि खुद सेंसर बोर्ड भी उन्हें सलाम करने लगा. राज कपूर ने अपनी इस फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी को दिखाया जो बचपन से बिना मां के पली होती है और आधा चेहरा भी जला होता है. इसके आगे की कहानी तो आप सबने देखी ही होगी. फिल्म में जीनत अमान और शशी कपूर के कई बोल्ड सीन दिखाए गए थे.

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