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पीरियड्स में सेनेटरी पैड्स यूज करने वाली महिलाओं के लिए ये बाते जानना है बेहद जरूरी

पीरियड्स ना सिर्फ एक शारीरिक प्रक्रिया है बल्कि ये जीवन का महिलाओं का अहम हिस्सा भी है, युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने से लेकर प्रौढावस्था तक लड़कियों और महिलाओं को इससे हर महीने गुजरना पड़ता हैं। ऐसे में इन दिनों इस्तेमाल होने वाला सेनेटरी पैड्स भी लड़कियों-महिलाओं के जीवन का हिस्सा बन जाता है। आज के समय में तो अधिकांश शहरी महिलाएं सेनेटरी पैड्स का ही इस्तेमाल करती हैं, वहीं बीते कुछ दिनों में इसके इस्तेमाल पर भी खासा जोर दिया जा रहा है। यहां तक कि सरकार की तरफ से भी सस्ते पैडेस उपलब्ध कराए जाने की कवायद हो रही है, जो कि काफी हद तक जरूरी भी है, क्योंकि सेनेटरी पैड्स के अभाव में गांवों और कस्बों की महिलाएं कई तरह की भयानक बीमारियों का शिकार बनती है। पर इसके साथ ये जानना और समझना भी जरूरी है कि क्या सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

दरअसल ज्यादातर सेनेटरी पैड्स केमिकल के इस्‍तेमाल से बनते है जिसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। जी हां, जिस सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल को स्वास्थ्य के लिए जरूरी बताया जाता है उसमें डायोक्सिन, रेयॉन, फ्रेगरेंस और डियो जैसे खतरनाक चीजों का इस्‍तेमाल किया जाता है। जबकि इनके कारण ऐसे पैड्स को यूज करने वाली महिलाओं के कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं। इसे समझने के लिए आपको ऐसी चीजों के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना होगा..

जैसे कि पैड्स में सोखने की क्षमता बढ़ाने के लिए रेयॉन का इस्‍तेमाल किया जाता है, जबकि रेयॉन में भी डायोक्सिन होता है जो कि सेहत के लिए बिल्‍कुल भी सही नहीं है। इसकी वजह से थायरॉयड, अवसाद और इनफर्टिलिटी की समस्‍या होती है।

वहीं सैनेटरी पैड्स को बेहतर बनाने और सोखने की अधिक क्षमता के लिए इसमें सेल्यूलोज का इस्तेमाल किया जाता है और ये भी हेल्‍थ के हिसाब से सही नहीं है। आजकल महिलाओं में होने वाले सरवाइकल कैंसर के पीछे की एक वजह ये भी होती है।

जबकि पैड्स को सफेद करने के लिए डायोक्सिन का इस्‍तेमाल किया जाता है, वैसे इसकी मात्रा कम होती है पर फिर भी ये काफी नुकसान पहुंचाता है और इसके चलते ओवेरियन कैंसर, हार्मोन डिसफंक्‍शन, डायबिटीज जैसी समस्‍या हो सकती है।

वहीं आजकल कई सारी नैपकिन कंपनियां अपने प्रोडक्‍ट को अलग दिखाने के लिए फ्रेगरेंस और डियो का भी इस्‍तेमाल करने लगी हैं जो कि सुनने में तो अच्छा लगता है, पर वास्तव में इससे भी एलर्जी और त्‍वचा को नुकसान हो सकता है।

ऐसे में जहां तक हो सके सिंथेटिक पैड्स को एवॉइड करने की कोशिश करें और इसके बजाय बायोड्रिग्रेडेबल पैड्स का इस्तेमाल करें। क्योंकि ये आपके साथ ही वातावरण के लिए भी सेफ हैं। इसलिए पैड खरीदते समय ये ध्यान दें कि, नैपकिन लकड़ियों और कॉर्न स्टॉर्च से बनें हो। वैसे बहुत सारी कंपनियां दावा करती हैं कि उनके द्वारा बनाए सेनेटरी पैड नैचुरल है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है। बल्कि ज्यादातर कई कंपनी सिर्फ उपर की शीट के लिए नैचुरल चीजों का इस्तेंमाल करती हैं। इसलिए नैपकिन के प्रयोग से पहले उसकी क्वालिटी का अच्छे से पड़ताल कर लें और साथ ही ये भी ध्यान रखे कि वे इको-फ्रैंडली हों।

महिलाओं को सेनेटरी पैड्स की ये बातें जरूर जान लेनी चाहिए

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