कहानी

संसद से ही इंदिरा गांधी को CBI ने किया था गिरफ्तार, विरोध में कांग्रेसियों ने किया था ये काम

भारत की एकमेव लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है, जिनसे जुड़े कई किस्से मशहूर हैं। इंदिरा गांधी ने जहां एक तरफ देश के लिए कई कड़े फैसले लिये थे, तो वहीं दूसरी तरफ उन पर कई तरह के आरोप भी लगे थे। इतना ही नहीं, इंदिरा गांधी जितनी ज्यादा लोकप्रिय हुई थी, उतनी ही ज्यादा उनकी बदनामी भी हुई थी। इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 में इमरजेंसी लगाई थी, जोकि करीब 21 महीने चली थी, जो 21 मार्च, 1977 को खत्म हुई थी। इतना ही नहीं, इमरजेंसी के दौरान ही इंदिरा गांधी ने ही अगले लोकसभा चुनाव की घोषणा कर दी थी, जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। खैर, यहां हम आपको इंदिरा गांधी को जेल क्यों भेजा गया था, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

इंदिरा गांधी की करारी हार के बाद जनता दल के नेता मोरारजी देसाई भारत के चौथे प्रधानमंत्री बने। मोरारजी देसाई के पीएम बनने के बाद देश में कई तरह का बदलाव देखा गया। इसी सिलसिले में जहां एक तरफ इंदिरा गांधी की कुर्सी चली गई, तो वहीं दूसरी तरफ मोरारजी देसाई इंदिरा को जेल भेजने की पूरी तैयारी कर चुके थे। मोरारजी की सरकार ने इंदिरा गांधी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और इसे साबित करने के लिए शाह कमीशन का गठन किया गया, जिसे इमरजेंसी के दौरान ज्याततियों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया।

3 अक्टूबर, 1977 को पहली बार गिरफ्तार हुई इंदिरा गांधी

3 अक्टूबर, 1977 को सीबीआई इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार केस में गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस दौरान इंदिरा पर आरोप था कि उन्होंने चुनाव में प्रचार करने के लिए जीपें खरीदी थी, जोकि कांग्रेस के पैसों से नहीं, बल्कि सरकार के पैसों से खरीदी थी। गिरफ्तारी की अगली सुबह ही इंदिरा को कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें अगले ही दिन रिहा कर दिया। वहीं दूसरी तरफ शाह कमीशन केस की जांच कर रही थी, जिसमें कुछ लोगों ने गवाह दिया था कि इमरजेंसी के लिए इंदिरा गांधी ही जिम्मेदार हैं।

सीबीआई ने संसद से ही इंदिरा गांधी को फिर गिरफ्तार किया

शाह कमीशन ने 9 जनवरी, 1978 को समन जारी करते हुए इंदिरा गांधी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया, जिसमें इंदिरा ने कोई बयान नहीं दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीत कर दोबारा संसद पहुंच गई। उसी वक्त प्रिविलेज कमेटी ने संसद में उस रिपोर्ट को पेश की, जिसमें यह गया कि इंदिरा ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए इमरजेंसी लागू करवाया था, जिसके बाद उनकी संसद की सदस्यता को खारिज कर दिया। इसी दौरान 19 दिसबंर, 1978 को सीबीआई ने इंदिरा गांधी को संसद से ही गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने हवाई जहाज हाईजैक किया

सीबीआई इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके दिल्ली के तिहाड़ जेल ले आई, जहां उन्हें एक हफ्ते तक रखा गया। जेल में इंदिरा गांधी के लिए सोनिया गांधी खाना लेकर आती थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं ने हवाई जहाज हाईजैक करके इंदिरा की रिहाई की मांग कर रहे थे। इतना ही नहीं, शाह कमीशन की रिपोर्ट में इंदिरा गांधी को दोषी पाया गया था, जिसमें कहा गया कि इंदिरा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन बाद में इंदिरा को रिहा किया गया और एक बार फिर से बहुमत के साथ जीत कर उन्होंने अपनी सरकार बनाई।

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