अध्यात्म

इस दिशा में शिवलिंग की पूजा करने से मिलता है शुभ फल, इच्छाएं होती है पूरी

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है जो व्यक्ति सावन में रोजाना नियमित रूप से पूजा नहीं कर सकते वह सोमवार के दिन शिव पूजा और व्रत रख सकते हैं सावन के महीने में भगवान शिव जी का विशेष महत्व होता है सावन महीने में जितने भी सोमवार होते हैं यदि इन सोमवार को व्रत रखा जाए और विधि विधान पूर्वक पूजा की जाए तो इससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ कितने सरल और शांत स्वभाव के नजर आते हैं सावन का महीना लोगों के मन में उत्साह भर देता है सावन के महीने के हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ जी का विधिवत जल से अभिषेक करके इनकी पूजा करने से चंद्रमा बलवान होकर मन को ऊर्जावान बना देता है।

सावन का महीना लड़कियों के लिए बहुत ही महत्व रखता है लड़कियां सोलह सोमवार का व्रत रखकर प्रेम करने वाले पति की कामना करती हैं इसके पीछे भी चंद्रमा ही कारक है क्योंकि चंद्रमा मन का संकेतक है और सच्चा प्यार मन से ही होता है यदि सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है परंतु शिवजी की पूजा में कुछ विशेष सावधानियां भी बरतने की आवश्यकता होती है शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अगर उसी विधि-विधान से सारे नियमों का पालन करते हुए भगवान शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं आज हम आपको इस लेख के माध्यम से शास्त्रों में बताई गई शिव पूजा के नियमों के विषय में जानकारी देने वाले हैं।

आइए जानते हैं शास्त्रों में शिवलिंग पूजा के कुछ नियम विधान के बारे में

  • अगर शिवलिंग से दक्षिण दिशा में बैठकर पूजा की जाए तो इससे सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  • उज्जैन के दक्षिणामुखी महाकाल और अन्य दक्षिणा मुखी शिवलिंग की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है इसका बहुत अधिक धार्मिक महत्व है।
  • जब भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं तब शिवलिंग पूजा में दक्षिण दिशा में बैठकर इसके साथ भस्म का त्रिपुंड लगाना चाहिए रुद्राक्ष की माला का धारण करना चाहिए और बिना कटे फटे हुए बेलपत्र भगवान भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए अगर आपको साबुत बेलपत्र नहीं मिल पाते हैं तो बेलपत्र का चूर्ण भी अर्पित किया जा सकता है।

  • जिस स्थान पर शिवलिंग स्थापित होता है उससे पूर्व दिशा की ओर मुख करके भूल कर भी नहीं बैठना चाहिए।
  • भूलकर भी शिवलिंग से उत्तर दिशा में नहीं बैठना चाहिए क्योंकि इस दिशा में भगवान शिव जी का बाया अंग होता है और शक्ति रूपा देवी उमा का स्थान होता है।
  • जब आप शिवलिंग की पूजा करते हैं तब पूजा के दौरान शिवलिंग से पश्चिम दिशा में बैठना उचित नहीं होता है क्योंकि इस दिशा में शिवजी की पीठ होती है जिसकी वजह से पीछे से देव पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है।
  • जब आप शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं तब शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए आधी परिक्रमा करने से ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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